कूचबिहार : शाही काल की परंपरा के अनुसार आज भी काली पूजा में लगता है मांगुर मछली का भोग

कूचबिहार : बड़ी तारा काली पूजा कूचबिहार जिले की सबसे पुरानी पूजाओं में से एक है। कूचबिहार के मदन मोहन मंदिर की यह पूजा कूचबिहार व उत्तर बंगाल और निचले असम में सबसे बड़ी पूजाओं में से एक के रूप में जानी जाती है। इस देवी को स्थानीय लोग बड़ी तारा के नाम से जानते हैं। इस पूजा को लेकर आम लोगों में शुरू से ही उत्साह देखने को मिल रहा है चार शताब्दियों से अधिक समय से, यह पूजा अपनी परंपरा को आगे बढ़ा रही है।

कूचबिहार के महाराजाओं के संरक्षण में, कूचबिहार में होने वाले सभी धार्मिक आयोजन अब देवत्र ट्रस्ट बोर्ड की जिम्मेदारी में हैं। इस देवत्र ट्रस्ट की पहल के तहत मंडल, कूचबिहार के मदन मोहन मंदिर में बड़ी तारा पूजा की जा रही है. इस पूजा की विधि अन्य पूजाओं से बिल्कुल अलग है। शाही काल से ही इस महान देवी की पूजा में पांच बलि अनुष्ठानों का प्रचलन रहा है, जिनमें पाठा, भेड़, बत्तख, कबूतर और सबसे महत्वपूर्ण मगुर मछली शामिल हैं।

Coochbehar newsराज पुरोहित हरेंद्रनाथ भट्टाचार्य ने कहा, ”यह पूजा लंबे समय से भक्तिभाव से की जाती रही है। राजाओं के समय से ही बड़ी तारा की पूजा में बलि चढ़ाने की परंपरा रही है। इस पूजा में मगुर मछली, पाठा, भेड़ समेत पांच बलि दी जायेगी। एक बार यह पूजा राजघराने में आयोजित की गई थी। वर्तमान में कूचबिहार के मदनमोहन मंदिर में राजपरिवार के नियमों के अनुसार पूजा की जाती है। इस पूजा को देखने के लिए हर साल कई श्रद्धालु उमड़ते हैं।

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