डीपी सिंह की रचनाएं…

चरखा बोला मैं कभी, ले आया था क्रान्ति
बुल्डोजर बोला तभी, मैं लाता हूँ शान्ति
मैं लाता हूँ शान्ति, मिटा दूँ पल में ख़ुश्की
सिर जिसके चढ़ जाय, निकालूँ गर्मी उसकी
कह डीपी कविराय, करे पत्थर की बरखा
अपना घर गिरवाय, वही उल्लू का चरखा

डीपी सिंह

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