डीपी सिंह की रचनाएं

टीवी पॅ ख़बर चली, बात सबको ये खली
अब कोई नज़रों का तारा ही नहीं रहा

ख़ुशियों के इंडेक्स में देश काफ़ी पिछड़ा है
आज कल कहीं भाई-चारा ही नहीं रहा

शादी-शुदा लड़के हैं परेशान इससे कि
बेचारों के पास कोई चारा ही नहीं रहा

लड़कियाँ दुखी हैं कि मेक-अप कराएँ काहे
शहर में कोई भी कुँवारा ही नहीं रहा

–डीपी सिंह

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