नेतृत्व के सत्तर साल
याद रहे अधिकार मगर कर्तव्य निभाना भूल गये
अपने महल बने, दीनों की कुटी बनाना भूल गये
कंधा देना नेक काम है, सुनकर लाशें बिछवा दीं
देश जलाना याद रहा, सौहार्द बढ़ाना भूल गये
डीपी सिंह
नेतृत्व के सत्तर साल
याद रहे अधिकार मगर कर्तव्य निभाना भूल गये
अपने महल बने, दीनों की कुटी बनाना भूल गये
कंधा देना नेक काम है, सुनकर लाशें बिछवा दीं
देश जलाना याद रहा, सौहार्द बढ़ाना भूल गये
डीपी सिंह