।।कुण्डलिया।।
आना पाई जोड़कर, कैसे बने करोड़
आज तलक इस बात का, निकला नहीं निचोड़
निकला नहीं निचोड़, साफ़ थे लेनदेन में
डला कहाँ से तेल, किसी की लालटेन में
दौड़े भ्रष्टाचार, रगों में खुलकर भाई
शुचिता बसती जीभ, रक्त तक आ ना पाई
–डीपी सिंह
।।कुण्डलिया।।
आना पाई जोड़कर, कैसे बने करोड़
आज तलक इस बात का, निकला नहीं निचोड़
निकला नहीं निचोड़, साफ़ थे लेनदेन में
डला कहाँ से तेल, किसी की लालटेन में
दौड़े भ्रष्टाचार, रगों में खुलकर भाई
शुचिता बसती जीभ, रक्त तक आ ना पाई
–डीपी सिंह