चुनाव विशेषांक-3
भड़के-भड़के फिर रहे, बड़के भाई जान
मुस्लिम एका का करें, जारी नित फ़रमान
जारी नित फ़रमान, झरे स्वर से अंगारा
ज़ह्र जुबां से घोल, बोलते भाई-चारा
जब तब उठे मरोड़, तड़कते तड़के तड़के
श्वान निकट लखि मौत, फिरें ज्यों भड़के-भड़के
–डीपी सिंह
चुनाव विशेषांक-3
भड़के-भड़के फिर रहे, बड़के भाई जान
मुस्लिम एका का करें, जारी नित फ़रमान
जारी नित फ़रमान, झरे स्वर से अंगारा
ज़ह्र जुबां से घोल, बोलते भाई-चारा
जब तब उठे मरोड़, तड़कते तड़के तड़के
श्वान निकट लखि मौत, फिरें ज्यों भड़के-भड़के
–डीपी सिंह