डीपी सिंह की रचनाएं

कुण्डलिया
एक दिन का पत्नी प्रेम

सबके दिल में ले रहा, पत्नी प्रेम हिलोर।
शक होता है देखकर, दिल में है कुछ चोर।।
दिल में है कुछ चोर, होय संकट में प्राणी।
तभी टपकता शहद, मधुर निकले है वाणी।।
कह डीपी कविराय, आज गर रहे न दबके।
व्रत टूटा तो मौत, यही भय दिल में सबके।।

डी पी सिंह

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