डीपी सिंह की रचनाएं

कुण्डलिया

हाथ-हथौड़ी साथ में, करने बैठे डील
दिल में इनके है चुभी, “हिन्दुत्वा” की कील
“हिन्दुत्वा” की कील, उखाड़ेंगे वो मिलकर
जड़ से जिन्हें उखाड़, देश ने फेंका पथ पर
जिनकी है औकात, बराबर फूटी कौड़ी
अपना ही ताबूत, बनाते हाथ-हथौड़ी

डीपी सिंह

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