डीपी सिंह की रचनाएं

जाने किसने कह दिया, हुआ कहाँ से भान
देखो देखो ले गया, कौवा तेरा कान
कौवा तेरा कान, न कोई कान टटोले
कुर्सी का है दर्द, फूटते यहाँ फफोले
संसद – सड़कें जाम, काम करते मनमाने
रोज पहुँचते कोर्ट, बिना तथ्यों को जाने

डीपी सिंह

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