डीपी सिंह की रचनाएं

कुण्डलिया

जनता – मोदी का हुआ, है ऐसा अब हाल
आवश्यक था ज्यों कभी, विक्रम को बेताल
विक्रम को बेताल, प्रश्न में नित उलझाता
चुप हो तो सिर चूर, बोलते ही उड़ जाता
देशद्रोह पर मौन, जहाँ मन को है हनता
उड़ने का डर खाय, राय यदि रख दे जनता

डीपी सिंह

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

5 + 18 =