“मुल्क मंजरी” के बाल गीत, 14 नवंबर बाल दिवस पर बच्चों को सप्रेम भेंट

बाल गीत

दुनियाँ 1
दुनियाँ मुझको याद करे ऐसा मैं नन्हा कलाम हूँ

खेल, खिलौने, कन्चे, गोली मुझको लगते प्यारे।
फूलों के संग तितली रानी, भौरे कितने न्यारे।।
जगमग जगमग जुगनू, जैसे नभ में चांद सितारे।
मेरे कोरे मन में उपजें, प्रश्न अनोखे सारे।।
खोज निकालूँ प्रश्नों के हल मैं ऐसा विराम हूँ।

दुनियाँ 2
रोज सवेरे विद्यालय जाता गुरुजन मुझे पढ़ाते।
गिनती, ओलम और पहाड़े, मुझको खूब रटाते।।
पेड़, फूल और पत्तों के मैं सुंदर चित्र बनाऊँ।
प्रकृति की प्यारी इस बगिया में सबको पास बुलाऊँ।।
नानक, बुद्ध और महावीर का मैं नन्हा पयाम हूं।

दुनियाँ 3
बच्चों के प्रिय नेहरु चाचा अच्छे लगते हैं।
बाल दिवस को हम, सब मस्ती खूब करते हैं।।
कलाम के सपनों के भारत में धूम मचाएंगें।
ज्ञान प्रकाश से तम को हम सब दूर भगाएंगे।।
विज्ञान, कला और संस्कृति का मैं ऐसा अयाम हूँ।

दुनियाँ 4
“कौन बनेगा नन्हा कलाम” है वैज्ञानिक नवाचार।
नवंबर में शुरू हुआ लिए सपने पंख हजार।।
ज्ञान, विज्ञान के रहस्यों का है नया संसार।
जीवन को सीखने, का है वैज्ञानिक आधार।।
कलाम के विजन का ऐसा मैं सुंदर सलाम हूँ।।

“मुल्क मंजरी”

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