छठ: अस्ताचल गामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए घाटों पर लाखों की संख्या में उमड़े श्रद्धालु

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में छठ महापर्व का पहला दिन श्रद्धा और सबुरी के साथ शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ है। इसके लिए महानगर कोलकाता समेत हावड़ा, हुगली, उत्तर और दक्षिण 24 परगना समेत राज्य भर के सभी गंगा घाटों पर लाखों की संख्या में छठ व्रतियों ने अस्ताचल गामी सूर्य को अर्घ्य दिया है। इस दिन घाटों पर गजब की चहल-पहल थी। रंग बिरंगी साड़ियों में नाक से लेकर सिर के मध्य हिस्से तक सिंदूर लगाई सुहागन महिलाएं शूप में केला, सेव, नारियल, नारंगी, नाशपाती आदि सजाकर नदी, तालाबों, झरना आदि के पानी में उतरकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दी हैं। बुधवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ महापर्व का समापन होगाा।

इसके लिए नहाए खाए के बाद छठ व्रती महिलाएं उपवास रखी हैं और करीब 36 घंटे से अधिक समय तक भूखी रहकर सूर्य की आराधना की जाती है। कोलकाता के गंगा घाटों पर लाखों की संख्या में उमड़़े छठ व्रतियों को अर्घ्य दिलवाने के लिए बड़ी संख्या में पुरोहित भी नदी में उतरे थे। पुलिस ने राजधानी के चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की है। इसके साथ नगर निगम ने घाटों पर लाइट, साफ-सफाई और माइकिंग आदि की व्यवस्था की है। सोमवार की अपराहन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी गंगा घाट पर छठ व्रतियों के बीच पहुंची और सबको शुभकामनाएं देते हुए शांतिपूर्वक तरीके से छठ पर्व संपन्न होने की कामना की है।

इस मौके पर महानगर कोलकाता समेत शिल्पांचल में बड़ी संख्या में हिंदी भाषी क्षेत्रों को रंग बिरंगी रोशनी से सजाया गया है। सड़कों को साफ किया गया है और इलाके के क्लब तथा स्थानीय लोगों ने मिलजुल कर छठ व्रतियों के घाट पर जाने और वापस लौटने की व्यवस्था की है। अतिरिक्त संख्या में तैनात पुलिसकर्मी सड़कों से लेकर गंगा घाटों तक सुरक्षा दे रहे हैं। गंगा नदी में भी बड़ी संख्या में कोलकाता पुलिस की रिवर पेट्रोलिंग टीम गस्ती लगा रही है ताकि किसी तरह की कोई अप्रिय घटना ना घटे।

ज्ञात हो कि छठ पर्व, छठ या षष्‍ठी पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है। सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से पूर्वी भारत के बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। प्रायः हिन्दुओं द्वारा मनाये जाने वाले इस पर्व को इस्लाम सहित अन्य धर्मावलम्बी भी मनाते हैं। धीरे-धीरे यह त्योहार प्रवासी भारतीयों के साथ-साथ विश्वभर में प्रचलित हो गया है। छठ पूजा सूर्य और उनकी पत्नी उषा को समर्पित है। इसमें किसी मूर्ति की पूजा नहीं की जाती है और सबसे बड़ी बात यह है कि छठी मैया की पूजा के लिए व्रती महिलाएं 36 घंटे से अधिक समय तक भूखी रहती हैं जबकि उन्हें ना तो भूख लगती है और ना ही प्यास। इसीलिए इसे आस्था का महापर्व कहा जाता है।

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