खांटी खड़गपुरिया की कविता : खिलखिलाता रहे खड़गपुर…!!
कोरोना काल में भी शारदीय नवरात्र के उत्सव ने खांटी खड़गपुरिया तारकेश कुमार ओझा में
सदी के 131श्रेष्ठ व्यंग्यकारों के संकलन का लोकार्पण
बंगाल के एक व्यंग्यकार को किया शामिल देश के सुप्रसिद्ध कवि एवं चर्चित व्यंग्यकार श्री
अभिषेक पाण्डेय की कविता : “हिंदी का हो रहा सोलह श्रृंगार”
“हिंदी का हो रहा सोलह श्रृंगार” ‘इंग्लिश’ लगाती पैरों में महावर ‘भोजपुरी’ ने हाथों में
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हिंदी दिवस पर विशेष : राष्ट्रभाषा हिंदी की वर्तमान दशा- दिशा
राष्ट्रभाषा का शाब्दिक अर्थ है राष्ट्र की भाषा, जो भाषा देश के बहुसंख्यक लोगों द्वारा व्यवहार
भूमंडलीकरण के दौर में हिंदी : दशा एवं दिशा
‘भूमंडलीकरण’ शब्द भारतीय संस्कृति के ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की उतर आधुनिक सोच है ।भारतीय अवधारणा मानवता
आम राय से फैसला ( हास-परिहास ) : डॉ लोक सेतिया
दो पक्ष बन गये थे और तमाम प्रयास करने पर भी कोई निर्णय हो नहीं
अमृता प्रीतम का इश्क : खामोशी और जज्बातों की दास्तान
भारतीय भाषाओं के जिन लेखकों, रचनाकारों ने पिछली सदी में समाज पर गहरी छाप छोड़ी
रूपल की कविता – “सपनों के चिथड़े”
“सपनों के चिथड़े” आज मैंने जब देखा कांधे पर चढ़े तुम्हारे बच्चों की आँखें उनमें
रिया सिंह की कविता : “प्रेम”
“प्रेम” उन अंजान राहों में हुई थी मुलाकात उनसे जाने अंजाने में हुई थी बात
खड़गपुरिया तारकेश कुमार ओझा की चंद लाइनें ….
पहले से जिंदा लाश की तरह जीने वाले समाज के गरीब तबके की जिंदगी को