डीपी सिंह की कुण्डलिया

इक्किस के सम्मान में, मचा रहे सब शोर।
घड़ी-घड़ी सबकी नजर, उठे घड़ी की ओर।।
उठे घड़ी की ओर, शान से हम भी ऐंठे।
दरवज्जे पर खाट, डालकर डटकर बैठे।।
बीस हुआ है पार, अजी कैसे घिस-घिस के।
बैठे डीपी सिंह, प्रतीक्षा में *इक किस* के।।

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