बौद्धिक परिसंवाद : काश! आज ‘गांधी’ होते

बौद्धिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक, सामाजिक तथा साहित्यिक मंच ‘सर्जनपीठ’, प्रयागराज के तत्त्वावधान में 30 जनवरी एक

“भागीरथी यात्रा ” : (कहानी) :– श्रीराम पुकार शर्मा

पैसठ वर्षीय मुलेसर चाचा अपने घर के बाहर मिट्टी के बने चबूतरे पर बैठे किसी

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डीपी सिंह की कुण्डलिया

बिचौलिए किसान में, बबूल ज्यों पलाश में शरीर भारतीय हैं, जमीर शत्रु पाश में जमीन

मेरी तन्हाई है (गजल) : पारो शैवलिनी

मेरी तन्हाई है हर तरफ गम ही गम रुसवाई ही रुसवाई है। तेरी यादें हैं,

डीपी सिंह की कुण्डलिया

अन्ना! छल कर देश को, किया आप ने पाप। दिल्ली, दिल में देश के, पैदा

खुशखबरी : 25 रचनाकारों का साझा काव्य संग्रह शीघ्र प्रकाश्य, अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें

रचनाकारों के लिए खुशखबरी हिंदी कविताओं का संग्रह 25 रचनाकारों का साझा काव्य संग्रह शीघ्र

दिव्यांगजनों की अनूठी प्रतिभा प्रदर्शित करने को एशियन लिटरेरी सोसाइटी द्वारा परवाज़-2021 का आयोजन

कोलकाता : 31 जनवरी, 2021 को, एशियन लिटरेरी सोसाइटी ने परवाज़- 2021 कार्यक्रम का आयोजन

डीपी सिंह की कुण्डलिया

सूखा कचरा डालिए, नीले कूड़ेदान। गीले कचरे के लिए, हरा रंग श्रीमान।। हरा रंग श्रीमान,

उत्तर कभी ना मिला (गीत) : पारो शैवलिनी

*उत्तर कभी ना मिला* नि:शब्द रात में, सुने हो क्या पृथ्वी का रोना। एकान्त दोपहर

डीपी सिंह की कुण्डलिया

फिर से आए बुद्ध तो, फिर होगा इक बार। हिंसक पशु के सामने, हिन्दू ही