डीपी सिंह की रचनाएं

*कलयुगी शिवभक्त* काटै नन्दी फिर करै, पार्टी यह शिवभक्त हिन्दू आतंकी कहै, गरियावै हर वक़्त

राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा बहुभाषी काव्य गोष्ठी संपन्न

डॉ. प्रभु चौधरी, उज्जैन : प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय बहुभाषी काव्य

मनुष्य के तन में ही ईश्वर का मंदिर दिखाने की चेष्टा की कबीर ने

डॉ. प्रभु चौधरी, उज्जैन। सन्त कबीर : सामाजिक सरोकार और मूल्यों के परिप्रेक्ष्य में पर

साक्षात्कार : लेखिका कमलेश चौधरी के साहित्य में जनजीवन का चित्र सजीवता से समाया है

यहाँ प्रस्तुत है कोलकाता हिंदी न्यूज के पत्रकार राजीव कुमार झा की उनसे एक बातचीत…

निखिता पाण्डेय की कविता : पिता

पिता पिता वह जड़ है, जिसकी हम शाखा हैं, पिता वह पेड़ है, उसकी हम

राजीव कुमार झा की कविता : दोपहर

दोपहर तुमने साहस से खुद को आज पुकारा, हम कहाँ मिलेंगे शायद घर के बाहर।

डीपी सिंह की रचनाएं

जाना होगा जेल यदि, लिया वास्तविक नाम ममता को कुछ बोलते, होता काम तमाम होता

भक्तिकाल के महान संत कबीरदास जी की जयंती पर विशेष

Kolkata Desk : संत कबीरदास का जन्म ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा के दिन संवत् 1455

डीपी सिंह की रचनाएं

*कुण्डलिया* पप्पू निस्सन्देह ही, है शिवभक्त महान। शिव ने जिसको दे रखा, भस्मासुर-वरदान।। भस्मासुर-वरदान, इसे

रीमा पांडेय की कविता : जय माँ गंगे

जय माँ गंगे पावन तुम हो हे माँ गंगे उठती रहती तरल तरंगें निशदिन तेरा