सेंट पॉल्स कैथेड्रल मिशन कॉलेज ने ऑनलाइन छात्र सन्गोष्ठी आयोजित की

  • छात्र-छात्राओं को अपनी प्रतिभा निखारने का मिला मंच

कोलकाता। कोरोना महामारी के इस दौर जबकी सारे शिक्षण संस्थान बंद हैं , ऐसे में वेबिनारों का दौर चल पडा है। इसी कड़ी में सेंट पॉल्स कैथेड्रल मिशन कॉलेज की ओर से 13 जुलाई, 2021 को शाम चार बजे से ऑनलाइन प्लेटफार्म गूगल मीट पर “साहित्य और वर्तमान परिदृश्य” विषय पर एक वेबिनार आयोजित किया गया। यह वेबिनार अन्य वेबिनारों से इस संदर्भ में अलग और विशेष रहा कि इसमें वक्ता कोई प्रसिद्ध आलोचक, सुपरिचित अध्यापक, लेखक या चर्चित व्यक्ति न होकर छात्र-छात्राएं थी।

सबसे पहले छठे सत्रा की छात्रा अदिति साव ने अपने सुमधुर कंठ से महाकवि निराला रचित “वर दे वीणावादिनी वर दे” गीत को स्वर देकर मंगलाचरण किया। विभाग के युवा और प्रतिभाशाली प्राध्यापक प्रो० परमजीत कुमार पंडित ने अतिथियों का स्वागत किया। इस वेबिनार का उद्घाट न कॉलेज के भार प्राप्त अध्यक्ष प्रो० देवाषीश मंडल ने किया।

छात्र-छात्राओं को राह दिखाते हुए विभाग के वरिष्ठतम प्राध्यापक प्रो० विजय शंकर मिश्रा ने विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि साहित्य में सदा ही अपने समय, समाज के बदलाव को देखा गया है। आज के इस कठिन परिस्थिति में साहित्य का दायित्व और भी बढ गया है। बंगला विभाग के विभागाध्यक्ष और जगन्नाथ साहित्य तथा लोकगीत विषय के विषेशज्ञ प्रो० शेख मकबुल इस्लाम ने सबसे पहले रथयात्रा की शुभकामनाएं दी।

उन्होंने कहा कि साहित्य भाषा के बंधनों से मुक्त होता है। बंगला में आज भी हिंदी के साहित्यकारों और उनकी रचनाओं को पढाया जाता है। हिंदी और बंगला ही नहीं दुनिया के तमाम भाषाओं के साहित्य और साहित्यकार एक दूसरे से जुडें हुए हैं।

सबसे पहले द्वितीय वर्ष की छात्रा स्वीटी वर्मा ने “साहित्य का विस्तृत फलक” विषय पर अपनी बात रखी। इसके बाद चतुर्थ वर्ष के छात्र सुशील कुमार साव ने साहित्य के एकदम नये विषय “किन्नर समाज और साहित्य” पर चर्चा करते हुए किन्नरों के जीवन, हर्ष, उल्लास, दुख-दर्द, संघर्ष से रूबरु कराती साहित्य की ओर श्रोताओं का ध्यान आकर्षित किया।

चतुर्थ वर्ष की ही छात्रा पूजा कुमारी साव ने “हिंदी कथा साहित्य और स्त्री विमर्श” शीर्षक आलेख में स्त्री जीवन के यथार्थ को सामने लाने का प्रयास किया। छठे सत्र की छात्रा मौसमी प्रसाद ने अप्ने आलेख में साहित्य के अतीत और वर्तमान पर चर्चा करते हुए साहित्य की शक्ति से परिचय करवाया। उन्होंने कहा कि साहित्य इंसान को इंसान बनाता है।

साहित्य सिर्फ पढने की चीज नहीं है, उसे समझना होगा और उसे अपने जीवन में उतारना होगा तभी साहित्य सार्थक हो सकता है। द्वितीय सत्र की छात्रा मधु ठाकुर, कीर्ति सिंह, रीना शर्मा ने भी साहित्य के वर्तमान परिदृश्य पर आलेख का पाठ किया। द्वितीय वर्ष की छात्रा अलका कुमारी ने कोरोना काल में लिखित साहित्य पर चर्चा की।

उनके आलेख का शीर्षक था- “आज के सवालों से जूझता और राह दिखाता हमारा साहित्य”। उन्होंने अपने इस आलेख के माध्यम से कहा कि आज बहुत ही कठिन परिस्थिति है। इस कठिन परिस्थिति में साहित्य समय के सवालों से लडने, संघर्ष करने का साहस और उत्साह प्रदान करते हुए मशाल लिए हमें राह दिखा रहा है।

इस वेबिनार के समापन सत्र में विशिष्ठ अतिथि खिदिरपुर कॉलेज की प्राध्यापिका प्रो० अर्चना पाण्डेय ने बच्चों की सराहना करते हुए आपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि आज साहित्य का फलक और भी विस्तृत हो गया है। उमेश चंद्र कॉलेज सिटी के हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो० कमल कुमार ने कहा कि यह मंच बच्चों की प्रतिभा को उभारने में सार्थक भूमिका अदा कर रहा है।

इस कठिन परिस्थिति में भी बच्चों ने इतने सुंदर और सार्थक आलेख पाठ किया कि यह कहा ही जा सकता है कि इन बच्चों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है बस थोडे मार्गदर्शन की जरुरत है। हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो० कमलेश कुमार पाण्डेय ने बच्चों के प्रयास और प्रस्तुति की सराहना करते हुए कहा कि “साहित्य और वर्तमान परिदृश्य” जैसे गम्भीर और बडे विषय पर हमारे बच्चों ने बहुत ही कम समय में उम्मीद से भी अच्छा किया है।

उन्होंने इस कार्यक्रम के संयोजकों प्रो० परमजीत कुमार पंडित और प्रो० आरती यादव के मेहनत और प्रयासों की सराहना की जिनके मार्गदर्शन में छात्र-छात्राओं ने इतना सुंदर कार्यक्रम किया। इस कार्यक्रम क बहुत सुंदर, सुचारु संचालन चतुर्थ सत्र की छात्रा निकिता प्रसाद ने की।

छठे सत्र की छात्रा प्रिया कुमारी पाण्डेय ने अतिथियों सहित कॉलेज के प्राध्यापकों तथा अपने सहपाठियों को कार्यक्रम सफल बनाने के लिए धन्यवाद दिया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में तुलिका बोस, पेक्ट्रिशिया डिसिल्वर, भूमि यादव, राजेश रॉय ने भी सक्रिय भूमिका थी।

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