डीपी सिंह की रचनाएं

कुण्डलिया जनता – मोदी का हुआ, है ऐसा अब हाल आवश्यक था ज्यों कभी, विक्रम

भारत माता अभिनंदन दिवस समारोह पर आभासी संगोष्ठी होगी

निप्र, उज्जैन : राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के 140वीं आभासी संगोष्ठी विश्व विजेता सन्यासी स्वामी विवेकानंदजी

डीपी सिंह की रचनाएं

कुण्डलिया बर्बादी की क्षीर के, अगर न सहनी पीर या तो जामन डाल लो, या

डॉ रश्मि शुक्ला की कविता : हरितालिका तीज

हरितालिका तीज साजन हमका संगम तट की मिट्टी ले आना आई हर तालिका तीज। दोनो

#Hindi Sahitya : भारतेंदु हरिश्चंद्र जी की जयंती पर विशेष…

श्रीराम पुकार शर्मा : भारतीय संस्कृति के प्रति पूर्णतः निष्ठावान साहित्यिक सेवक, जो अपने व्यक्तित्व

#Hindi Sahitya : श्यामलाल गुप्त ‘पार्षद’ जी की जयंती पर विशेष…

श्रीराम पुकार शर्मा : कुछ गीत ऐसे भी होते हैं, जिनके बोल कानों में अमृत

डीपी सिंह की रचनाएं

कुण्डलिया जग में है इक क़ौम जो, करती “गन” की बात स्वांग करे डर का

शिक्षक दिवस पर राष्ट्रीय कवि संगम की राष्ट्रीय काव्य प्रतियोगिता संपन्न

प्रतियोगिता जीतने से ज्यादा महत्वपूर्ण है प्रतियोगिता में भाग लेना डॉ.गिरिधर राय निप्र, कोलकाता :

शिक्षक दिवस पर राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने शिक्षक-शिक्षिकाओं का किया सम्मान

निप्र, उज्जैन : राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना एवं हिन्दी परिवार का संयुक्त आयोजन शासकीय केन्द्रीय अहिल्यादेवी

मुक्त रचनात्मक व्यक्तित्व का निर्माण करने में है शिक्षक की सार्थकता : प्रो. शर्मा

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन : जीवन और व्यक्तित्व के विविध आयाम पर केंद्रित राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी