डॉ. आर.बी. दास की कविता : रिश्ता

।।रिश्ता।। डॉ. आर.बी. दास जरूरी नहीं हर रिश्ता प्यार का ही हो, कुछ रिश्ता अपनापन

अर्चना संस्था की मासिक काव्य गोष्ठी संपन्न

कोलकाता। अर्चना संस्था की मासिक काव्य गोष्ठी अति सुंदर रही, इन्दु चांडक के संयोजन में

पुण्यतिथि पर याद किए गए क्रांतिकारी शहीद मदन लाल ढींगरा

राष्ट्रीय कवि संगम हुगली ज़िला इकाई द्वारा महान स्वतंत्रता सेनानी मदन लाल ढींगरा को काव्यांजलि

रक्षाबंधन पर विशेष : कहानी- बेटी घर की लक्ष्मी

अशोक वर्मा “हमदर्द”, चांपदानी। अनुराधा के आने की खबर से पूरे घर में उत्साह की

डॉ. आर.बी. दास की कविता : तो मैं जानू

।।तो मैं जानू।। डॉ. आर.बी. दास किताब तो सब पढ़ते हैं, कोरे कागज पढ़ पाए,

महिला डॉक्टर की निर्मम हत्या के बाद बेटियों की सोच पर एक कविता

पापा! मुझे खड्ग धरा दो, इज्जत से मैं रह पाऊं। पड़े कुदृष्टि मुझ पर जिसका,

भारतीय स्वाधीनता संग्राम जीवन मूल्य और संस्कृति के परिप्रेक्ष्य में पर केंद्रित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न

बाहरी स्तर पर दिखाई देने वाले अंतर के बावजूद आंतरिक संभावना जरूरी है समर्थ राष्ट्र

नव सृजन : एक सोच का ऑनलाइन कवि-सम्मेलन संपन्न

आजादी के रंग : कलमकारों के संग कोलकाता। नव सृजन समूह द्वारा स्वतंत्रता दिवस की

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कवि सम्मेलन का आयोजन

कोलकाता। मकस कहानिका के झारखंड अध्याय द्वारा सावन के पावन महीन और स्वतंत्रता दिवस के

डॉ. आर.बी. दास की कविता : ये जमाना यूं ही चलता आया है

।।ये जमाना यूं ही चलता आया है।। डॉ. आर.बी. दास जब झूठ से काम निकल