सी20 के कार्य समूह सस्टेनेबल और रेसिलिएंट कम्युनिटीज शिखर सम्मलेन का उद्घाटन किया गया

गंगटोक। जी20 के आधिकारिक इंगेजमेंट ग्रुप में से एक सिविल 20 (सी20) के वर्किंग ग्रुप सस्टेनेबल एंड रेजिलिएंट कम्युनिटीज (एसआरसी) शिखर सम्मेलन का उद्घाटन सिक्किम के गंगटोक में किया गया। दो दिवसीय कार्यक्रम में नीति निर्माताओं, शिक्षाविदों और नागरिक समाज संगठनों के नेताओं सहित 200 से अधिक भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधि, चर्चा और वर्कशॉप्स में भाग लिया। यह कार्यक्रम जलवायु रेसिलिएंस और सामाजिक न्याय, नेट-जीरो एमिशन मैनेजमेंट, पर्यावरण स्थिरता और करुणा प्रेरित दृष्टिकोण से संबंधित वैश्विक नीतियों के बारे में है। प्रतिभागीयों ने कमियों की पहचान कर नवीन समाधानों पर विचार किया, जो जुलाई 2023 में सी20 शिखर सम्मेलन में शुरू की जाने वाली नीतिगत सिफारिशों को सीधे प्रभावित करेंगी।

उद्घाटन समारोह के दौरान उपस्थित गणमान्य लोगों में सिक्किम के भूमि राजस्व और आपदा प्रबंधन मंत्री कुंगा नीमा लेप्चा, सिक्किम के परिवहन और बिजली विभाग के माननीय मंत्री एमएन शेरपा, भूमि राजस्व और आपदा प्रबंधन के सचिव अनिल राज राय (आईएएस), युगांडा गणराज्य की उच्चायुक्त जॉयस काकूरामत्सी किकाफुंडा, ट्रोइका और सी20 संचालन समिति के सदस्य और माता अमृतानंदमयी मठ के उपाध्यक्ष स्वामी अमृतस्वरूपानंद पुरी और सी20 शेरपा विजय नांबियार शामिल हुए।

सिक्किम के भूमि राजस्व और आपदा प्रबंधन मंत्री कुंगा नीमा लेप्चा ने कहा, “स्थायी और लचीला समुदाय अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए आने वाली पीढ़ियों की क्षमता से समझौता किए बिना अपनी वर्तमान जरूरतों को पूरा करने और विभिन्न पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों से उबरने में सक्षम हैं। 2015 से अब तक सिक्किम सरकार ने पर्यावरण, सामाजिक और आर्थिक स्थिरता, इंफ्रास्ट्रक्चर और टेक्नोलॉजी और आपातकालीन तैयारी को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय किए हैं। सिक्किम ने उत्तर-पूर्व क्षेत्र में 2021 के लिए सतत विकास लक्ष्यों के सभी मापदंडों में शीर्ष स्थान हासिल किया है। हम पूरी तरह से जैविक बनने वाले दुनिया के पहले राज्य हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “विभिन्न मानव निर्मित और प्राकृतिक चुनौतियों के अधीन एक छोटा हिमालयी राज्य होने के नाते, हम अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए दुनिया की सर्वोत्तम प्रथाओं से सीखने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसलिए कई संगठन सिक्किम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के साथ साझेदारी कर रहे हैं और मैं इस दिशा में सभी मदद, पहल और विचारों का स्वागत करता हूं। दुनिया में हम सभी को अपनी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए हाथ मिलाने की जरूरत है। यह अलगाव में काम करके नहीं किया जा सकता है। उल्लेखनीय विविधता के बावजूद, सभी लोगों को खुद को विश्व नागरिक मानने की आवश्यकता है, ताकि सभी का पेट भर सके और प्रकृति की रक्षा की जा सके।”

सी20 की अध्यक्ष माता अमृतानंदमयी देवी (अम्मा) ने उद्घाटन समारोह में वीडियो मैसेज के जरिए कहा, “मानवता आज कई असाधारण चुनौतियों का सामना कर रही है। ऐसे समय में मनुष्य को समस्या को पहचानने की समझ और उसे ठीक करने के लिए बुद्धि और मानसिक दृष्टिकोण जैसे दो गुणों की आवश्यकता होती है। दुर्भाग्य से, हम उस छात्र की तरह हैं, जो परीक्षा के एक दिन पहले पढ़ना शुरू कर देता है। हम तभी सही सोचते हैं, जब हम आपदा के कगार पर होते हैं। भविष्य उन एकल संस्थाओं का नहीं है, जो विभाजित हैं, बल्कि उनका है जो दूसरों के साथ घुलमिल कर सहयोग करते हैं। जो देश और समाज अपने दम पर ऊपर उठने की कोशिश करते हैं, वे निश्चित रूप से असफल होंगे। यह प्रकृति की ओर से मानव जाति के लिए एक चेतावनी है। इसलिए हमारा मंत्र ‘सिंगल’ नहीं बल्कि ‘मिंगल’ का होना चाहिए। एक राष्ट्र, जाति या धर्म अलगाव में जीवित नहीं रह सकता। यह धरती हम सबकी है।”

अम्मा ने आगे कहा, “हमारे ब्रह्मांड में एक अंतर्निहित लय है, ब्रह्मांड और उसमें रहने वाली हर चीज का एक दूसरे से अटूट संबंध है। ब्रह्मांड एक विशाल, परस्पर जुड़े नेटवर्क की तरह है। एक ऐसे जाल के बारे में सोचिए जो चार लोगों द्वारा उसके चारों कोनों को पकड़कर फैलाया जाता है। यदि इसे एक कोने में थोड़ा हिलाया जाए तो पूरे जाल में कंपन महसूस होता है। इसी तरह, चाहे हम इसे जानते हों या नहीं, हमारे सभी कार्य पूरे सृष्टि में प्रतिध्वनित होते हैं, चाहे वह किसी व्यक्ति या समूह द्वारा किए गए हों। इसलिए हम यह न सोचें कि ‘उनके बदलने के बाद मैं बदलूंगा।’ बल्कि वे न भी बदलें तो भी हम बदलेंगे तो दूसरों में यह बदलाव ला सकते हैं। विश्व एक परिवार प्राचीन काल से भारत की धरती का मंत्र रहा है। जी20 राष्ट्रों की अध्यक्षता दुनिया के सामने इस सच्चाई को प्रस्तुत करने का एक अनूठा अवसर है। आइए यहां बदलाव का एक नया दीया जलाएं। इस ज्योति से असंख्य दीप प्रज्वलित हों और संसार भर में फैले हों।”

ट्रोइका और सी20 संचालन समिति के सदस्य और माता अमृतानंदमयी मठ के उपाध्यक्ष स्वामी अमृतास्वरूपानंद पुरी ने कहा, “जैसा कि अम्मा कहती हैं, प्रकृति के प्रति प्रेम और सम्मान की कमी ही वह कारण है, जिसकी वजह से स्थायी और लचीला समुदायों को बनाने के हमारे सभी प्रयास अपेक्षित परिणाम देने में विफल रहे। हमारे पूर्वजों को प्रकृति के प्रति गहरा प्रेम और श्रद्धा थी। अनेक नामों और रूपों के पीछे असीम शक्ति में आस्था रखते हुए, उन्होंने विश्व में दिखाई देने वाली विविधता को पूजा की दृष्टि से देखा। हालाँकि, आधुनिक समाज में इस दृष्टिकोण का अभाव है। इसे बदलने की जरूरत है।”

उन्होंने आगे कहा, “आज जलवायु परिवर्तन पहले कभी नहीं देखी गई दर से हो रहा है, और इसे एक मिथक के रूप में नकारा नहीं जा सकता है। परिवर्तन इतना गंभीर है कि कुछ गणनाओं के अनुसार, मानव प्रजाति अगले 50 वर्षों से अधिक अस्तित्व में नहीं रह सकती है। वैज्ञानिक और तकनीकी समुदाय से मेरा अनुरोध है कि विज्ञान और आध्यात्मिकता का सहजीवन सुनिश्चित किया जाए, ताकि दोनों सामंजस्यपूर्ण रूप से काम करें। हमें प्राचीन संतों द्वारा दी गई आध्यात्मिक सलाहों को अनुभव करने और स्वीकार करने में संदेह नहीं होना चाहिए, खासकर तब जब मानवता के अंत की उनकी सभी चिंताएं सच होने के कगार पर हों। अम्मा सुरक्षा के उस भ्रम की ओर ध्यान आकर्षित करती हैं जो समकालीन तकनीक हमें देती है, जिससे हम इस दुनिया में जीवन की कमज़ोरी को नज़रअंदाज़ कर देते हैं। हमें अपनी सीमाओं, विविधता और मतभेदों से परे सोचने की जरूरत है और दुनिया को एकता के नजरिए से देखने की जरूरत है, जैसा कि वसुधैव कुटुम्बकम के भारत के जी20 नारे पर जोर दिया गया है।”

अमृता विश्व विद्यापीठम की प्रोफेसर और सस्टेनेबल एंड रेजिलिएंट वर्किंग ग्रुप की कोऑर्डिनेटर डॉ. मनीषा वी. रमेश ने कहा, “सी20 की अध्यक्ष श्री माता अमृतानंदमयी देवी की दृष्टिकोण से प्रेरित यह कॉन्क्लेव दुनिया भर के नागरिक समाज संगठनों और प्रतिनिधियों के लिए एक मंच प्रदान करता है। स्थायी और लचीले समुदायों के निर्माण में मदद करने के उद्देश्य से जलवायु लचीलापन, सामाजिक न्याय, पर्यावरणीय स्थिरता और शुद्ध शून्य उत्सर्जन प्रबंधन के क्षेत्रों में चुनौतियों और अंतराल को दूर करने के लिए गहन चर्चा से संबंधित हैं। मुझे खुशी है कि यह आयोजन सिक्किम सरकार के साथ साझेदारी में हो रहा है। सिक्किम एक ऐसा राज्य है, जो वास्तव में स्थिरता और लचीलेपन का एक उदाहरण है। कई हितधारकों के बीच नीतिगत विचार-विमर्श जी20 नेतृत्व टीम को प्रदान की जाने वाली सिफारिशों को सामने लाएगा। मुझे पूरी उम्मीद है कि इससे स्केलेबल मॉडल विकसित करने का रास्ता मिलेगा, जिसे कई देशों में अपनाया जा सकता है।

आयोजन के दौरान, माता अमृतानंदमयी मठ की वैश्विक युवा शाखा आयुध के सहयोग से सी20 सस्टेनेबल एंड रेजिलिएंट कम्युनिटीज़ (एसआरसी) वर्किंग ग्रुप द्वारा सिक्किम में एक सीडबॉल वितरण अभियान शुरू किया गया। वैश्विक अभियान का उद्देश्य दुनिया भर में दस लाख सीडबॉल फैलाना है और पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में सीडबॉल के महत्व के बारे में लोगों में सामान्य जागरूकता पैदा करना है।

सिविल 20 इंडिया 2023 के तहत स्थापित 14 कार्य समूहों में से एक सस्टेनेबल एंड रेसिलिएंट कम्युनिटी वर्किंग ग्रुप, जलवायु, पर्यावरण और नेट ज़ीरो पर ध्यान केंद्रित करता है। यह वर्किंग ग्रुप (डब्ल्यूजी) जलवायु लचीलापन और सामाजिक न्याय, पर्यावरणीय स्थिरता, नेट जीरो एमिशन मैनेजमेंट से संबंधित वर्तमान महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित करता है और स्थायी और लचीला समुदायों के निर्माण के लिए करुणा दृष्टिकोण के महत्व को प्रदर्शित करता है। जी20 (20 का समूह) एक मंच है, जिसमें 19 देश और यूरोपीय संघ शामिल हैं। यह वैश्विक अर्थव्यवस्था से संबंधित प्रमुख मुद्दों को संबोधित करने के लिए काम करता है। सी20 दुनिया भर के नागरिक समाज संगठनों (सीएसओ) को जी20 में विश्व नेताओं के लिए लोगों की आकांक्षाओं को आवाज़ देने के लिए एक मंच प्रदान करता है।

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