पटना । बिहार में अब खसरा (मिजल्स) बीमारी का इलाज संभावना और लक्षणों के आधार पर नहीं, बल्कि अब राज्य में ही इसकी जांच की जाएगी और उसी आधार पर इलाज हो सकेगा। पटना स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में अब खसरा की जांच होगी और फिर इलाज किया जाएगा। राज्य का पहला खसरा जांच लैब पटना एम्स में स्थापित होगी। राज्य के मेडिकल कॉलेजों और जिला से सैंपल कलेक्ट कर एम्स में जांच के लिए भेजा जाएगा। जांच के लिए ऐसी हाईटेक मशीन लगाई गई है जो रिपोर्ट भी बहुत जल्द उपलब्ध कराएगा। बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने खसरा जांच लैब को बिहार के मासूमों के लिए ‘संजीवनी’ बताया है।
मंत्री ने बताया कि खसरा जैसी संक्रामक बीमारी के इलाज में चिकित्सकों को काफी परेशानी होती थी। डॉक्टर अपने अनुभव के हिसाब से मरीजों का इलाज करते थे। इसका बड़ा कारण राज्य में जांच की कोई व्यवस्था ही नहीं थी। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय का कहना है कि खसरा यानि मिजल्स जैसे संक्रामक बीमारी की जांच के लिए पहले राज्य में लैब नहीं था, जिससे खसरा रोग प्रबंधन में चिकित्सकों को परेशानी होती थी। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की पहल से इस समस्या को दूर कर लिया गया है। अब खसरा का लैब कन्फर्मेटरी टेस्ट एम्स, पटना में आसानी से किया जा सकेगा।
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक राज्य के सभी जिलों से संदिग्ध रोगियों के सैंपल को कलेक्ट कर पटना एम्स जांच के लिए भेजा जाएगा। सैंपल की जांच की जाएगी। जांच पूरी तरह से नि:शुल्क की जाएगी। इससे बिना किसी खर्च के ही मरीजों की जांच कर समय से यह पता लगा लिया जाएगा कि खसरा का संक्रमण है या नहीं। इसके बाद इलाज में काफी आसानी होगी।
स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि जांच सुविधा नहीं होने के कारण लक्षणों के आधार पर ही इलाज होता था, लेकिन जांच सुविधा उपलब्ध होने से ससमय खसरा की पहचान हो सकेगी एवं रोग के अधिक प्रभावी होने से पहले ही बेहतर इलाज किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य,अधीक्षक एवं सिविल सर्जन को खसरा के सभी संभावित मामलों के सैंपल एम्स, पटना में लैब कन्फर्मेशन के लिए भेजने के लिए निर्देश दिया गया है, जिससे खसरा रोगियों को यथाशीघ्र चिकित्सकीय लाभ मिल सके।