श्रीराम पुकार शर्मा की कहानी : गंगा ! तेरी गोद में
गंगा ! तेरी गोद में सुबह का छः बजा होगा। चौसा पुलिस थाना में फोन
“भागीरथी यात्रा ” : (कहानी) :– श्रीराम पुकार शर्मा
पैसठ वर्षीय मुलेसर चाचा अपने घर के बाहर मिट्टी के बने चबूतरे पर बैठे किसी
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“बिदाई ” : (कहानी) :– श्रीराम पुकार शर्मा
‘जब तक सूरज चाँद रहेगा, बिराज तेरा नाम रहेगा‘…. ‘भारत माता की जय’ की गगन
“दहेजुआ साइकिल” : (कहानी) :– श्रीराम पुकार शर्मा
आज ही मेरे कुंवर साहब (एकमात्र पुत्र) एक बेशकीमती ‘रॉयल इन्फिल्ड बुलेट 350’ फटफटिया खरीद
जुलूस : (कहानी) :– श्रीराम पुकार शर्मा
‘ठहर जा बेटा ! मेरी बात मान ले I तू जुलूस में मत जा I
फर्ज (लघुकथा) : हीरा लाल मिश्र
महफूज का पिता अफजल ताँगा चलाता था। घोड़े को इतना सजा-सँवार कर रखता कि लोग
“बंटवारा” : (कहानी) :– श्रीराम पुकार शर्मा
पैतृक सम्पति सम्बन्धित अपनी संतानों में बंटवारे सम्बन्धित समस्या को केंद्र कर लिखी गई मेरी
सेवा (लघुकथा) : माला वर्मा
“थोड़ा चावल और ले लीजिए अम्मां जी !” “नहीं बहू, अब पेट भर गया…।” “ले
अनमोल रिश्ता (लघुकथा) : गोपाल नेवार, ” गणेश”
कॉलोनी में नये आए पड़ोसी ने रामबदन जी से जिज्ञासा किया – ” मैं कई
“एक टुकड़ा आसमान” : (कहानी) :– श्रीराम पुकार शर्मा
पुरानी पीढ़ी के निर्बल और दुर्बल लोग नई पीढ़ी से कुछ प्यार पाने की तमन्ना