डीपी सिंह की रचनाएं
*देश के दीमक* देश में दीमकों की बड़ी खान है नींव ही चट करें, जिनका
तिरंगा काव्य मंच का 14वां मासिक ऑनलाइन कवि सम्मेलन एवं मुशायरा सम्पन्न
राम पुकार सिंह “पुकार” गाजीपुरी, कोलकाता : तिरंगा काव्य मंच का 14वां मासिक ऑनलाइन कवि
पारो शैवलिनी की कविता : यही सच है
यही सच है यही सच है, कि- जिन्दगी है तो मौत भी होगी। फिर, मौत
श्रीराम पुकार शर्मा की कहानी : सिसकती मानवता
सिसकती मानवता शाम के लगभग साढ़े चार या पाँच बजे का वक्त रहा होगा। शहर
डीपी सिंह की रचनाएं
*विपक्षी राजनीति* बोल कर झूठ जनता को भरमाइये ऐड देकर सियासत को चमकाइये और उठने
नीक राजपूत की कविता : अंधश्रद्धा
अंधश्रद्धा अंधश्रद्धा जिसके नाम के आगे भी अंध, आता है उनमें में श्रद्धा कैसी आज
श्रीराम पुकार शर्मा की कहानी : पानी रे! तेरा रंग कैसा?
पानी रे! तेरा रंग कैसा? पंडित कैलाशनंदन जी कुछ दिन पूर्व ही अपनी सेवा से
डीपी सिंह की रचनाएं
*मुक्तक* इंसान पहले सा कहाँ अब काफ़िलों में है तौबा! वबा का ख़ौफ़ कितना अब
श्रीराम पुकार शर्मा की कहानी : गंगा ! तेरी गोद में
गंगा ! तेरी गोद में सुबह का छः बजा होगा। चौसा पुलिस थाना में फोन
गोपाल नेवार, “गणेश” सलुवा की कविताएं
मजबूरी ********* थक चुका है मांगकर भीख बहाकर अपनी आँसू को, मजबूर हो गए भूख