डीपी सिंह की रचनाएं
धूलि जिस पद की पाषाण को तार दे जग को निर्वाण पद-नख की जल-धार दे
डीपी सिंह की रचनाएं : सीबीआई दफ़्तर में आग
*सीबीआई दफ़्तर में आग* सीबीआई कर रही, बड़े बड़ों की जाँच बहुतों की दहलीज तक,
धूलि जिस पद की पाषाण को तार दे जग को निर्वाण पद-नख की जल-धार दे
*सीबीआई दफ़्तर में आग* सीबीआई कर रही, बड़े बड़ों की जाँच बहुतों की दहलीज तक,