डीपी सिंह की रचनाएं

चुनाव विशेषांक-3 भड़के-भड़के फिर रहे, बड़के भाई जान मुस्लिम एका का करें, जारी नित फ़रमान

सोनम यादव की कविता “कोरोना के काल में”

कोरोना के काल में घर-घर में सब कैद हो गये कोरोना के नाम से बैठ

सुषमा गुप्ता की कविता “जब तुमसे प्यार किया था”

जब तुमसे प्यार किया था आज फिर देखकर तुम्हारे यादों की निशानी याद आये वो

कृष्णा चटर्जी गुप्ता की कविता “काल का पंछी”

काल का पंछी काल का पंछी सर पर से उड़कर चला गया – समय नहीं

शाफिया फरहिन की कविता “बिल्ली”

बिल्ली काश…! मैं तुम्हारी पालतू बिल्ली होती मसरूफियत भरी ज़िंदगी में मेरे लिए तुम वक़्त

सुषमा गुप्ता की कविता अहसास

अहसास आज भी ये अहसास कि तुम खड़े हो वहीं जहाँ अक्सर खड़े हो कर

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डीपी सिंह की रचनाएं

हमारे धैर्य को ही वो हमारा डर समझ बैठे ज़रा दो बाल क्या निकले उसे

सरिता अंजनी सरस की कविता पेंडुलम के कंधे पर बैठा समय

पेंडुलम के कंधे पर बैठा समय पेंडुलम के कंधे पर इत्मीनान से बैठा वक्त झूलता

डीपी सिंह की रचनाएं

नींद आँखों से कहीं पर खो गई है हम जगे हैं, ख़ुद निगोड़ी सो गई

सरिता अंजनी सरस की कविता

मैं किसी अघोषित कविता की घोषित पात्र हूं मेरी उद्घोषणा के लिए ईश्वर ने एक