सोशल मीडिया
डॉ. आर.बी. दास
बात जरूरी भी है
और जरूरी भी नहीं,
समझ जाए तो अच्छा
पर कोई मजबूरी भी नहीं।
आज कल सभी हैं व्यस्त,
नौकरी, व्यापार में मस्त,
ऐसे में सोशल मीडिया है सरपरस्त,
रिश्ते पड़े हुए हैं अस्त व्यस्त।
लोगों ने व्हाट्सएप ग्रुप बनाया है,
परिवार के सदस्य को ही जोड़े है,
वही पर सभी व्यवहार निभा लेते
हैं,
आना जाना, चाय पानी का खर्चा भी बचा लेते हैं।
जन्म दिन, शादी, सालगिरह आई,
तो वही पर उछलकर दे डाली बधाई,
पारिवारिक सदस्य अब व्हाट्सएप सदस्य बन गए हैं,
धन्यवाद, प्रणाम नहीं, थैंक्यू टू आल बोल रहे हैं।
अब फेसबुक को ही ले लीजिए,
वहां पर भी रिश्तेदार फ्रेंड्स बन गए हैं,
लाइक करते हैं हर पोस्ट को,
पीछे खेल कर गए हैं।
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