राजीव कुमार झा की कविता : प्रेम का रंग

।।प्रेम का रंग।।
राजीव कुमार झा

जिंदगी की लहरों में
तुम्हारे मन का संगीत
सदा स्पंदित होता
रहता
प्रेम का रंग धरती पर
सुबह रोज दस्तक
देती
किरणों के साथ
छिटकता
पहाड़ों पर वसंत के
आते ही
बर्फ़ पिघलने लगता
नदियों में पानी बहने
लगता
हरे भरे जंगल में
कोयल अब गीत गाती
सुनाई देती
तुम मेरे सपनों की
रानी हो

राजीव कुमार झा, कवि/ समीक्षक

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