।।समंदर के पास।।
राजीव कुमार झा
प्यार की मंजिल
सबसे पास होती
यहां के नजारे
सदाबहार होते
धूप की
बहती नदी के पास
तुम्हारे साथ
रोज हम होते
आकाश में
सितारों की रोशनी
चमकती
इसी पहर हवा
मंजिल के पास
आकर
जिंदगी को कभी
कहती
यादगारे मुहब्बत की
अनजानी बनी बातें
अरी सुंदरी
समंदर के पास
आकर
जो कभी
अपनी मंजिल को
जाने
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