राजीव कुमार झा की कविता : प्रकाश पर्व

।।प्रकाश पर्व।।
राजीव कुमार झा

रात में रोशनी के
रंग से अंधेरे के पास
आकर
प्रेम का दीया जलाया
वंदनवार रंगोली से
दरवाजे आंगन को
सजाया
साथिया,
दीवाली का त्योहार
आया
इसके पहले सबने
धनतेरस मनाया
इसी पावन दिवस को
धरती पर
धन्वंतरी का जन्म हुआ
और उन्होंने
आयुर्वेद की रचना से
मनुष्य को
स्वस्थ जीवन जीने का
संदेश दिया
अरी प्रिया!
धनतेरस के बाद
इसके दूसरे दिन
दीवाली का त्योहार
मनाया जाता
इस दिन राम
रावण वध के बाद
लंका से अयोध्या
लौटकर आते
उनके आगमन की
खुशी में
यहां सारे नगर के
घर प्रासाद
दीपों से सजाए
गये
दीवाली के दिन
बच्चे घरौंदे बनाते
सारे लोग हैं
अपने घरों को
दीयों से सजाते
यह रोशनी का मन
त्योहार
अंधकार पर
प्रकाश विजय का
संदेश सबको देता

Rajiv Jha
राजीव कुमार झा, कवि/ समीक्षक

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