।।कुण्डलिया।।
बिल्ली मौसी के गले, घण्टी बाँधे कौन
मीटिंग होती रोज़; पर, चूहे रहते मौन
चूहे रहते मौन, एकता का दम भरते
केवल देते ऐड, काम पर एक न करते
हुई एक बरसात, नाक तक डूबी दिल्ली
हर सरकारी तन्त्र, बना है भीगी बिल्ली
डीपी सिंह
।।कुण्डलिया।।
बिल्ली मौसी के गले, घण्टी बाँधे कौन
मीटिंग होती रोज़; पर, चूहे रहते मौन
चूहे रहते मौन, एकता का दम भरते
केवल देते ऐड, काम पर एक न करते
हुई एक बरसात, नाक तक डूबी दिल्ली
हर सरकारी तन्त्र, बना है भीगी बिल्ली
डीपी सिंह