डीपी सिंह की कुण्डलिया

कुण्डलिया

एकलव्य ने कलयुगी, साध लिया तूणीर
और मीडिया-मुख भरे, विज्ञापन के तीर
विज्ञापन के तीर, ताकि वो बोल न पाये
जो कह दे सच-झूठ, रात-दिन वही दिखाये
नई दक्षिणा रीत, सिखा दी आज द्रव्य ने
अँगुठा देना दूर, दिखाया एकलव्य ने

डीपी सिंह

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