कोलकाता । मंज़िल ग्रुप साहित्यिक मंच भारतवर्ष की दक्षिणी शाखा मगसम दक्षिण भारत के तत्वाधान में गत रविवार 6 मार्च 2022 को होली पर एक रँगा-रंग कार्यक्रम गूगल मीट पर सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम करीब 4 घण्टे तक चला। होली का यह स्नेह – मिलन इंद्रधनुषी रंगों की बहार ले आई। होली के यह रंग …. जीवन के अनेक रसों को लेकर सजा था। जिसमें खट्टे- मीठे सभी तरह के उमंग देखने को मिला। बहुत कुछ एक दूसरे से सीखने को मिला। कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन मगसम दक्षिण भारत की राष्ट्रीय प्रभारी वीणा मेदनी के नेतृत्व में हुआ। इस कार्यक्रम के अध्यक्ष रहे सुधीर सिंह सुधाकर (राष्ट्रीय संयोजक, सम्पूर्ण भारत), मुख्य अतिथि रहे प्रशांत करण (राष्ट्रीय संयोजक, पूर्वी भारत) और इस कार्यक्रम में दक्षिण भारत के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. सुनील परिट मंच पर विराजमान थे। कार्यक्रम का आरंभ माँ सरस्वती वंदना जिसे माला मिश्रा ने प्रस्तुत किया एवं राष्ट्रीय गीत जिसे शोभा सतीश पाठक ने प्रस्तुत किया, से हुआ।
तकरीबन 35 रचनाकारों ने इस रंगारंग कार्यक्रम में होली पर आधारित, गीत, ग़ज़ल, दोहे और अन्य रचनाएं पेश की। जिसमे शामिल थे….. हेमचंद्र सकलानी, अंजनी कुमार सुधाकर, प्रमिला शर्मा, मोती प्रसाद साहू, अल्मोड़ा से आशा दिनकर आस, दिल्ली से, मदन मोहन शर्मा सजल कोटा से, शोभा पाठक मुंबई से, सरस्वती राजेश साहू, सरला विजय सिंह सरल चेन्नई से, नंदलाल मणि त्रिपाठी पितांबर गोरखपुर से, आशारानी आशु, विद्या कृष्णा बेंगलुरु से, ज्योति तिवारी बेंगलुरु से, नीना छिब्बर जोधपुर से, रमेश चंद्र द्विवेदी हल्द्वानी से, रमा बहेड हैदराबाद से, नलिनी पोपट बेंगलुरु से, शोभा रानी तिवारी इंदौर से, डॉ. कृष्णा माहेश्वरी भीलवाड़ा से, नरेंद्र वर्मा नरेन भीलवाड़ा से, शशि ओझा भीलवाड़ा से, कमल पुरोहित अपरिचित कोलकाता से, वीणा मेदनी बेंगलुरु से, गीतांजलि वासने सूर्याअंजलि, अरुणिमा रेखा झालावाड़ से, ललिता शर्मा, अलका जैन, वत्सला, रत्ना, शंकरलाल जांगिड़, राजकुमारी, द्रोपदी, चंद्रकला, उषा वर्मा वेदना इत्यादि ने अपनी-अपनी प्रस्तुति दी। ततपश्चात मंच की तरफ बढ़े ….
मुख्य अतिथि प्रशांत करण ने इस बात की चर्चा भी की कि होली सिर्फ राधा कृष्ण नहीं बल्कि मसान में भगवान शिव भी खेलते है। एक चर्चित गीत भी कुछ वर्षों पहले आया था जिसमें कहा गया था कि होली खेले रघुबीरा अवध में होली खेली रघुबीरा। आगे प्रशांत जी ने कहा कि भारत का हर त्योहार उत्सव है और यह परम सत्य भी है। इसके बाद उन्होंने अपना एक गीत सुना का सब का मन मोह लिया। अध्यक्ष सुधीर सिंह सुधाकर ने अपने व्यक्तव्य में कहा कि कार्यक्रम से जुड़ने वाले रचनाकार सिर्फ स्वयं की रचना सुना कर चले जाएं यह बिल्कुल ग़लत है। कार्यक्रम के आरंभ में 35 जन जुड़ते हैअन्त होते-होते आधे से भी कम हो जाते है। यानी अधिकतर लोग सिर्फ स्वयं की रचना सुनाने आते है। सिर्फ रचना सुनाने वाले पर नज़र रखी जा रही है। अगर वे हर बार ऐसा करते हैं तो फिर उन्हें कार्यक्रम में रखना उचित नहीं होगा। क्योंकि वे मगसम के उद्देश्य पर खरे नहीं उतर रहे।
कोलकाता कार्यालय से कार्यक्रम पदाधिकारी कमल पुरोहित ने इस कार्यक्रम में पेश हुए रचनाओं को एक पत्रिका का रूप देने की घोषणा की है जो कि जल्द होली के तोहफे के रूप में सदस्यों तक पहुँचाई जाएगी। अंत में मगसम दक्षिण भारत के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. सुनील परीट ने अपनी प्रस्तुति देते हुए सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। अन्त में राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।