वार्तालाप भगवान का ( हास-परिहास ) : डॉ लोक सेतिया 

डॉ. लोक सेतिया, स्वतंत्र लेखक और चिंतक

उठो अब तो जागो आपको काम पर जाना है बहुत दिन घर पर आराम कर लिया मुझे भी कितना परेशान किया चलो कोई बात नहीं। बाहर आपके कर्मचारी संदेश लेकर आये हैं सरकार ने भगवान को भी अपने काम पर लौटने की छूट दे दी है मगर कुछ नियम हैं पालन करना है। ये किट मंगवाई है आपको खुद अपनी भी सुरक्षा करनी है तो इसको पहन लेना। तभी वही आवज़ सुनाई दी जो कभी कभी भगवान को भी सवाल पूछ कर खामोश कर देती है।

भगवान जी जाने से पहले दुनिया का बदला हाल रंग ढंग समझते जाओ। मैंने इक स्मार्ट फोन मंगवाया है पास रखना बड़े काम की चीज़ है सब कुछ है उस छोटे से उपकरण में खबर से देश दुनिया की जानकारी और सहायता को कितनी ऐप्प भी हैं। खबर पढ़ना कोई महिला कितने स्कूलों में इक साथ पढ़ाती रही वेतन पाती रही साल भर एक करोड़ से अधिक अब मुसीबत में है शिकयत दर्ज है और मुकदमा चलेगा।
आयकर वाले भी तैयार हैं पूछताछ करने को अवसर मिलते ही समझना चाहते हैं और ऐसी कितनी महिलाएं हैं कितने पुरुष भी होंगे जो एक साथ कई जगह काम करते हैं। भगवान हैरान होकर बोले भला मुझे इस से क्या लेना देना जो जैसा करता है उसको उसका नतीजा मिलता है। आप भी कितने भोले हैं आज आपको जाना है तो पहले सोच कर बताओ किस जगह जाओगे।
मंदिर मस्जिद गिरिजाघर गुरूद्वारे ये किसी धार्मिक स्थल या कोई गुरूजी का डेरा उपदेश और संदेश समझाने वाला। कानून सब पर इक बराबर लागू है आपको जैसे कोरोना को लेकर बने नियम समझने हैं उसी तरह बाकी कानून भी जानना ज़रूरी है। भारत देश में जो इक बार कानून के शिकंजे में फंस गया खुद आप भी उसको नहीं बचा सकते और मत भूलना कि वकील क्या होते हैं भगवान हो चाहे शैतान उनके आगे किसी की नहीं चलती है। पानी भरते हैं बड़े बड़े उनके सामने।

भगवान भूल जाओ कि आप भगवान हैं और हर समय हर जगह होते हैं हो सकते हैं आप हैं तो सब मुमकिन है ये डायलॉग भी किसी और के नाम हो गया आपको खबर नहीं हुई। बस वही हर जगह हर देश हर शहर इक साथ हो सकता है वर्चुअल रैली कर के। आपके पास ये सुविधा उपलब्ध नहीं है। आप कितनी जगह हैं और उन सभी धार्मिक स्थलों से आपकी आमदनी और जमापूंजी कितनी है आपको हिसाब बताना होगा और साबित करना होगा कैसे इतनी जगह इक साथ रहकर कल्याण राशि का उपयोग किया।

कितना धन सोना चांदी हीरे जवाहारात आपने कितनी तिजोरियों में रखे हैं किसलिए। आपने आने वाले भक्तों से लिया कितना और उनको मिला क्या है आपसे। आपको धरती की आधुनिक कथा मालूम नहीं है कोई है लोग जिसके भक्त होने की चर्चा करते हैं उस के भक्त आपके भक्तों से बढ़कर आस्था रखते हैं। आपने कभी इश्तिहार छपवाया क्या क्या किया दुनिया को क्या क्या दिया है आप हैं भी या नहीं हैं इक कल्पना हैं ये भी लोग विचार करते हैं। मगर उसके बारे कुछ भी किया दिखाई नहीं देता तब भी लोग मानते हैं उसने बहुत किया है और उसके होने का सबूत गली गली टीवी अख़बार सोशल मीडिया हर जगह उसकी चर्चा उसका नाम फोटो और इश्तिहार हैं।

आपने सभी की मन की बात मनोकामना समझी जानी है कभी खुद अपनी मन की बात नहीं शेयर की भक्तों से। उसने मन की बात करते करते अब चिट्ठी लिखनी भी शुरू कर दी है। भगवान आपके अमृत और भोग लगे मिष्ठान का असर नहीं रहता लेकिन उसने चाय पर चर्चा करवाई थी छह साल बाद भी उसकी चाय का असर किसी नशे की तरह बाकी है।

आपके पास जो भी धन आया उसके बारे में आपसे पूछताछ हो सकती है कहीं किसी आतंकी संगठन या किसी नशे के कारोबारी ने आपको खुश करने को चढ़ावा तो नहीं चढ़ाया है। भगवान को भगवान याद आने लगे ये भूलकर कि भगवान तो खुद वही हैं। बस खामोश अचानक भगवान जी की पत्नी ने ज़ोर से बुलंद आवाज़ में कहा।

ख़ामोशी छा गई अब पत्नी के सामने भगवान भी क्या मज़ाल कुछ बोलते और ये आवाज़ भी जिस की उसको पता है चुप रहना ही ठीक है। पत्नी जी बोली पति परमेश्वर जी आपको कहीं भी नहीं जाना है घर पर रहो ये बेकार के झंझट लफड़े झगड़े जिनके हैं उन्हीं को मुबारिक। और अच्छे पति की तरह भगवान अपने आसन पर विराजमान हो गए हैं।

मंदिर मस्जिद खुलें या बंद रहें उनको कहीं भी नहीं जाना है, ये वास्तविकता भगवान भी और दुनिया भी समझ गई है कि उनके होने नहीं होने से कोई फर्क किसी को नहीं पड़ता हैं क्योंकि भगवान कोई सरकार नहीं हैं जो नियम कानून का पालन नहीं करने पर किसी को सख़्त सज़ा की धमकी दे सकती है।

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