सुबह
सारे लोग जग गये
फूल खिल कर महक रहे,
हरे भरे पेड़ धूप में तपने लगे
खेत-खलिहान, मैदान।
पहाड़ों पर हवा का गान
घर आँगन जीवन जहान,
इन सबको तुमने रचा
हमारी आत्मा में,
तुम समाये हो।
समुद्र में रोज
डूबता-उतराता संसार,
उच्छाल तरंगों से घिरा
सृष्टि का उद्यान है।
यहाँ देवगण रोज विचरते
हम सबके कल्याण की
कामना करते,
तुम्हारी प्रार्थना करते।
राजीव कुमार झा