गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा की कविता : ताला

ताला

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असल में मेरा नाम है ताला
सारे घर का मैं रखवाली करता हूँ,
सारी दुनिया करता है विश्वास मुझपर
मैं विश्वासघात कभी नहीं करता हूँ ।

बड़े ही बेरहमी होते है कुछ लोग
बंद करके मुझे चले तो जाते है
इंतजार करते-करते उनका
मेरे कुछ ऐसे हाल बना जाते है।

अरे भई, कुछ तो लिहाज करो
मैं अपना कर्तव्य निभाता ही रहूँगा,
अरे भई, भले ही अपमान कर लो,
तुम्हारे दिलों में हमेशा घर कर जाउँगा।

गोपाल नेवार, “गणेश” सलुवा

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