डॉ. आर.बी. दास की कविता : भरोसा सोच समझ कर करना

।।भरोसा सोच समझ कर करना।।
डॉ. आर.बी. दास 

किसी की नादानी का फायदा उठाते हैं लोग,
अपनी समझदारी से,
झूठ को सच बताते हैं लोग,
पेश करते हैं खुद को ऐसे जैसे उनके जैसा कोई नहीं,
अपने झूठ को सच बनाने के लिए हजारों झूठ बोल जाते हैं लोग,
हमेशा अच्छों का दिल दुखाते हैं लोग,
भरोसा सोच समझ के करना,
क्योंकि अक्सर भरोसा तोड़ जाते हैं लोग,
दिल की भावनाओ से खेलते हैं जिस्म की आग बुझाते हैं लोग,
कहते हैं किस्मत का लिखा पर किस्मत से भी खेल जाते हैं लोग,
गंगा की पवित्रता पर शक किया जाता है, मन की पवित्रता भूल जाते हैं लोग,
भरोसा सोच समझ कर करना,
क्योंकि अक्सर भरोसा तोड़ जाते है लोग,
कदम-कदम पर चालाकी दिखाते हैं लोग,
दूसरों के लिए जाल बुनते बुनते,
खुद उसी जाल में फस जाते है लोग,
कहते तो सबको अपना पर दुख में रंग
दिखाते हैं लोग,
भरोसा सोच समझ कर करना,
क्योंकि अक्सर भरोसा तोड़ जाते हैं लोग…

Dr. R.B. Das
Ph.D (Maths, Hindi) LLB

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