डॉ. आर. बी. दास की कविता

इंसान हैं लेकिन फर्क सिर्फ इतना है,
कुछ जख्म देते हैं,
कुछ जख्म भरते हैं।

हमसफर यहां सभी हैं, फर्क सिर्फ इतना हैं,
कुछ साथ चलते हैं,
कुछ साथ छोड़ देते हैं।

प्यार सभी करते हैं, फर्क सिर्फ इतना हैं,
कुछ जान देते हैं,
कुछ जान लेते हैं।

रिश्ते यहां सभी बनाते हैं, मगर फर्क
सिर्फ इतना है,
कुछ रिश्ते निभाते हैं,
कुछ इसे आजमाते हैं…।

Dr. R.B. Das
Ph.D (Maths, Hindi) LLB

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