।।मोहब्बत का अखबार आया है।।
डॉ. आर.बी. दास
सुबह सबेरे आंखों की
दहलीज पर आया है,
मोहब्बत का अखबार आया है।
किसी की बेचैनियां,
तो किसी की शिकायतें लाया है,
मोहब्बत का अखबार आया है।
कल बालकोनी में नजरें मिली थी जिनसे,
आज देखो सुर्खियों में आया है,
मोहब्बत का अखबार आया है।
सूखे कुछ गुलाब जो बंद थे किताबों में,
उन कागजों की महक भी लाया है,
मोहब्बत का अखबार आया है।
जिनकी आंखे ही सिर्फ बढ़ा देती थी धड़कने,
आज उनकी तस्वीर पहले पन्ने पर आया है,
मोहब्बत का अखबार आया है।
जिन आंसुओ की कहानी रह गई थी अधूरी,
उन्हे अपनी स्याही में पिरो कर लाया है,
मोहब्बत का अखबार आया है।
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