डॉ. आर.बी. दास की कविता : नारी

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डॉ. आर.बी. दास

जब मैंने जन्म लिया वहां “एक नारी” थी,
जिसने मुझे थाम लिया…मेरी मां
बचपन में जैसे जैसे बड़ा होते गया “एक नारी” वहां मेरे ध्यान रखने के लिए मौजूद थी…मेरी बहन
जब मैं स्कूल गया “एक नारी” मुझे पढ़ने लिखने में मदद की…मेरी शिक्षिका
जब मैं जीवन से हताश और निराश हुआ तब मुझे “एक नारी” ने संभाला… मेरी महिला मित्र
जब मुझे सहयोग, साथी और प्रेम की आवश्यकता हुई तब “एक नारी” मेरे साथ थी…मेरी पत्नी
मैं जब भी जीवन में कठोर हुआ तब भी मेरे जिंदगी को “एक नारी” ने नरम किया…मेरी बिटिया
मैं जब भी मरूंगा “एक नारी” मुझे अपने गोद में समा लेगी…धरती मां
यदि आप पुरुष हैं तो हर नारी का सम्मान करें और यदि आप महिला हैं, उन में से एक होने पर गर्व करें…

Dr. R.B. Das
Ph.D (Maths, Hindi) LLB

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