डॉ. आर.बी. दास की कविता : आदमी भी कितना नादान है

।।आदमी भी कितना नादान है।।
डॉ. आर.बी. दास

आदमी भी कितना नादान है,
मंदिर में शंख और घंटे बजाता है,
सोया हुआ खुद है मगर भगवान को जगाता है,
भूखे को रोटी दे नहीं सकता,
मंदिर में छप्पन भोग लगाता है,
अंधेरा दिल में है और दीए मंदिर में जलाता है…

अरमान दिल के हाउस फुल हैं,
पूरे होंगे या नही डाउटफुल है,
गाड़ी, बंगला, फर्नीचर सब वंडरफुल है,
लेकिन खाली हाथ जाना ही कुदरत का रुल है।

Dr. R.B. Das
Ph.D (Maths, Hindi) LLB

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