।।कितना कुछ सीखते हैं हम।।
डॉ. आर.बी. दास
कितना कुछ सीखते हैं हम अपने ही जीवन के हालातों से,
जीवन में आते जाते लोगों से,
अपनी ही बीती बातों से….
लोग आते हैं चले जाते हैं और रह जाते हैं उनके पढ़ाए पाठ…
उनसे मिली सीख…
इस तरह से पूरा जीवन सीखने में ही लगा रहता है।
कभी कभी हम कुछ चीजों को बहुत देर से समझ पाते हैं
कि फिर उन्हे समझने से कोई मतलब ही नहीं रह जाता हैं।
कहते हैं साथ में होना साथ चलने से बडा होता है।
सही मायने में कोई कितनी देर तक साथ-साथ चला
इससे ज्यादा मायने रखता है कोई कितने देर तक साथ दिया…
साथ चलने और साथ रुकने में कुछ तो फर्क होता ही होगा न…!!!
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