मदर्स डे स्पेशल : दिनेश लाल साव की कविता – “स्मृतियों की पगडण्डी पर”
स्मृतियों की पगडण्डी पर स्मृतियों की लताओं में उलझा सा इतराता रहा इस जीवन पर
मदर्स डे स्पेशल : रामअशीष प्रसाद की कविता – “माँ के आँचल में”
माँ के आँचल में माँ तुम्हारी आँचल की छाँव में जो सुख है वो कहीं
मदर्स डे स्पेशल : संचिता सक्सेना की कविता – “दुनिया है मां”
दुनिया है मां मां ने जीना सिखाया, सलीखा और फ़र्ज़ भी, हिम्मत भी बनी मेरी,
मदर्स डे स्पेशल : डॉ. लोक सेतिया की कविता – “माँ के आंसू”
माँ के आंसू कौन समझेगा तेरी उदासी तेरा यहाँ कोई नहीं है उलझनें हैं साथ
दिनेश लाल साव की कविता : संघर्ष
घनी अंधेरी रातों में उड़ते देखा है जूगनू को, लघु दीप का पुंज लिए उड़ती
कोरोना पर सुनिता की कविता : बेबसी और मानवता
ऊंची इमारतें, नीला आसमान चौड़ी सड़के हैं सुनसान बमुश्किल मिल रही रोटी बासी देश कोरोना
गधों का अखिल भारतीय सम्मेलन ( व्यंग्य ) : डॉ लोक सेतिया
सभी गधे ख़ुशी से झूम रहे हैं गा रहे हैं , अपना राग सुना रहे
बिनोद कुमार रजक की कविता : कोरोना का कटघरे में साक्षात्कार
कोरोना आप कटघरे में आ गए क्या कहना है? कैसा महसुस कर रहे हैं? सवाल
समझ नहीं आती लगती खूबसूरत ( व्यंग्य ) : डॉ. लोक सेतिया
आपने महाभारत सीरियल देखा या नहीं , कुछ देखते हैं कुछ नहीं देखते हैं जो
रूपेश कुमार की कविता : यूं गरीबी का मज़ाक ना बनाओ
” यूं गरीबी का मज़ाक ना बनाओ मुट्ठी भर अनाज देकर फ़ोटो ना खिंचवाओ ।।