डीपी सिंह की मुक्तक

*मुक्तक* ===== हे हरि! हर ले हर चिन्ता अब तेरे द्वारे आया हूँ तेरे चरणों

श्याम कुमार राई की कविता : वादा तेरा वादा …..

वादा तेरा वादा ….. हुजूर ….. माई बाप ! ये अपनी घोषणाओं में आप जो

नीलांबर कोलकाता द्वारा रेणु की कहानी संवदिया पर बनी फिल्म की स्क्रीनिंग एवं संवाद का आयोजन

आनंद गुप्ता, कोलकाता : आंचलिक साहित्य को हिंदी में प्रतिष्ठित करने वाले सुप्रसिद्ध हिंदी कथाकार

अर्जुन तितौरिया की कविता : राम

*राम* अगर राम तुम नदी पार करो तो में केवट बन जाऊं, चरण धूल उस

डीपी सिंह की कुण्डलिया

*कुण्डलिया* करते टीका-टिप्पणी, केवल आठो याम। अब विपक्ष के पास बस, एक यही है काम।।

रीमा पांडेय की कविता : “मन की निर्मलता”

*मन की निर्मलता* मन में है काबा और काशी निर्मलता के हम अभिलाषी पहले मन

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चंद्रशेखर आजाद को काव्यांजलि : दर्द देश का देख रहा हूँ वही तुम्हें दिखलाऊँगा

कोलकाता : 27 फरवरी को राष्ट्रीय कवि संगम पश्चिम बंगाल द्वारा भारत माता के सच्चे

“रंग फगुआ के” (भोजपुरी गीत) : हृषिकेश

“रंग फगुआ के” आईल बसन्त मनमीत बाड़े दूर सखी, सवख जगावे पिक-मोर फगुआ के ।

डीपी सिंह की गीत

*गीत* मत घबराओ, दूर अँधेरे होते हैं हर रजनी के बाद सवेरे होते हैं जब

पारो शैवलिनी की गज़ल

गजल दिन ढला, शाम ढली हर तरफ चिराग जले चले भी आओ सनम दिल जले,