आप महान से महानतम बन जाएंगे : डॉ. विक्रम चौरसिया

नई दिल्ली । इसी वक्त आप एक ऐसे इंसान की मानसिक तस्वीर अपने मन मस्तिष्क में बना लो जो आप बनना चाहते हो, फिर लगातार असफलता मिलने पर भी डटे रहिए अपने पथ पर ही। स्वामी विवेकानंद जी का कथन याद है न की हजार बार गिरने पर भी एक बार फिर से उठो, यह जीवन ही एक संघर्ष है मानवकल्याण के लिए अंतिम सांस तक लड़ते हुए अलविदा कह दो। देखो न विश्व में जितने भी बड़े आविष्कार या चमत्कार हुए हैं, चाहे वह बिजली हो, बल्ब हो, हवाई जहाज हो, भाप इंजन हो या कुछ भी हो जो आपके जेहन में आ रहा हो इन सभी के आविष्कार करने वाले लोगों की जिंदगी बहुत ही उतार-चढ़ाव से भरी हुई थी।

इन सब के बावजूद भी उन्होंने चीजों का आविष्कार किया जो आज हम लोगों के लिए काम आ रही हैं, अगर आप इनकी जिंदगी के बारे में जानकारी लेते हैं और इनके संघर्ष के दिनों के बारे में पढ़ते या सुनते हैं तो आपको समझ में आएगा कि यह जो रातो रात सफलता मिलती है, एक रात में नहीं मिलती बल्कि कई रातें उसके लिए खराब होती है। जी हां यही सच भी है कि जिसको सबसे ज्यादा असफलता का सामना करना पड़ता है वही इंसान सबसे अधिक अनुभवी होता है और उसी को बड़ी सफलता भी लगती है, आज कुछ युवा छोटी-छोटी असफलता पर आत्महत्या जैसी कायराना कदम उठा ले रहे हैं आखिर क्यों?

पुरे विश्व में अनेकों ऐसे लोग हैं जिनके पास ना तो घर है और ना ही कोई रिश्तेदार ना ही उनके मां-बाप हैं और ना ही अच्छी जिंदगी है, लेकिन आपके पास सब कुछ है फिर भी क्यों ऐसे कदम उठा लेते हो, जिससे आपके जाने के बाद परिवार व आपके चाहने वाले के जीवन में भी दुःख के पहाड़ टूट जाता है। खुद से वादा करो कि मुझे ऐसा कदम कभी ना उठाना है। एक बात हमेशा याद रखना आपके भीतर ही सभी शक्तियां निहित है, महान से महानतम बनने के बीज आपके ही अंतः करण में पहले से ही मौजूद हैं, इसके लिए हमें अपने छुपी हुई शक्तियों को पहचान कर विकसित करना होगा।

यह तो आपको पता होगा ही कि बीज से अंकुर तभी फुटता है, जब वह फटता है और बाद में यही अंकुर एक महावृक्ष बन जाता है। इसीलिए हमे अपनी सुप्त शक्तियों को पहचान कर सफलता के शिखर पर पहुंचना है, जो अपनी छुपी हुई शक्तियों को पहचान लेता हैं वही इस संसार में कुछ कर दिखाता है व महान से महानतम बनता है बाकी तो केवल समय पूरा करने के लिए इस धरती पर आते हैं और गुमनामी की मौत मर कर भुला दिए जाते हैं।

डॉ. विक्रम चौरसिया

चिंतक/आईएएस मेंटर/ दिल्ली विश्वविद्यालय
लेखक सामाजिक आंदोलनों से जुड़े रहे हैं व वंचित तबकों के लिए आवाज उठाते रहे हैं।

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