योग दिवस भारत की देन – राम रतन श्रीवास

बिलासपुर, छत्तीसगढ़ । भारत सम्पूर्ण विश्व में आदर्शवाद, अध्यात्मवाद, योग, ज्ञान और साहित्य आस्था, भक्तिभाव, संस्कृति को संजोए हुए विश्व बंधुत्व के भाव के साथ सुस्वथ्य रहने के लिए सदैव प्रेरित करता है। योग स्वस्थ जीवन जीने का विज्ञान है और इसलिए इसे दैनिक जीवन में शामिल किया जाना चाहिए। यह जीवन से जुड़े भौतिक, मानसिक, भावनात्मक, आत्मिक और आध्यात्मिक आदि सभी पहलुओं पर सटीक काम करता है। आध्यात्मिक स्तर पर इस जुड़ने का अर्थ है सार्वभौमिक चेतना के साथ व्यक्तिगत चेतना का एक होना।

व्यावहारिक स्तर पर योग शरीर, मन और भावनाओं को संतुलित करने तथा तालमेल बनाने का एक साधन है। यह योग या एकता आसन, प्राणायाम, मुद्रा, बँध, षट्कर्म और ध्यान के अभ्यास के माध्यम से प्राप्त होती है इसके प्रणेता पतञ्जलि मुनि हैं। योग हमेशा लाभ पहुँचाता है। योग के मुख्य चार प्रकार होते हैं- राज योग, कर्म योग, भक्ति योग और ज्ञान योग।
कर्म योग : इसके अनुसार हर कोई योग करता है। राज योग : राज योग यानी राजसी योग। इसमें ध्यान महत्वपूर्ण है। इसके आठ अंग हैं। इनमें यम (शपथ), नियम (आचरण-अनुशासन), आसन (मुद्राएं), प्राणायाम (श्वास नियंत्रण), प्रत्याहार (इंद्रियों का नियंत्रण), धारण (एकाग्रता), ध्यान (मेडिटेशन) और समाधि (परमानंद या अंतिम मुक्ति)।

अंतराष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत सर्वप्रथम 21 जून 2015 को भारत में हुई। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) को दिए गए प्रस्ताव को स्वीकृति मिली और 21 जून को अंतराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाना प्रस्तावित किया गया। योग ने पूरी दुनिया को स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित किया है। आज योग जहां पर है, वहां तक उसे पहुंचाने में आधुनिक भारत के कई योगियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जिसमें तिरुमलई कृष्णामाचार्य, स्वामी शिवानंद, आचार्य बीकेएस आयंगर, के पट्टभि जॉयस, म​​हर्षि महेश योगी, परमहंस योगानंद , जग्गी वासुदेव, श्री श्री रवि शंकर, बाबा रामदेव, बिक्रम चौधरी आदि हैं।

कन्नौजिया श्रीवास समाज साहित्यिक मंच छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष राम रतन श्रीवास “राधे राधे” ने सभी भारतीयों से अपिल करते हुए कहा कि योग से समस्त रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है जिससे मनुष्य में आंतरिक सकारात्मक ऊर्जा स्वत: प्रस्फुटित होने लगती है। योग हमारे जीवन का अभिन्न अंग है। जिस प्रकार से मनुष्य को जीने के लिए पांच तत्वों की आवश्यकता होती है ठीक उसी प्रकार स्वस्थ रहने के लिए योग भी आवश्यक है। श्री श्रीवास ने समस्त भारतवासियों को योग दिवस की अनंत शुभकामनाएं भी दी।72df70dd-3cb1-45ba-9f2f-ed7279e44408

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