वृश्चिक SCORPIO (तो, न, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू )
शुभ रंग – लाल व गुलाबी,
शुभ अंक – 1 व 9,
शुभ धातु – तांबा,
शुभ रत्न – इटालियन मूंगा व लाल ऑनिक्स,
शुभ दिन – मंगलवार,
इंष्ट – हनुमान, हनुमानचालीस का पाठ लाभ देगा,
शुभ तारीख – 9, 18, 27,
शुभ मास – चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़,
मध्यम मास – श्रावण, भाद्रपद, आश्विन एवं माघ,
अशुभ मास – कार्तिक, पौष, मार्गशीर्ष व फाल्गुन।
वृश्चिक राशि चक्र की आठवीं राशि है, इसका स्वामी मंगल है। स्वभाव में जितना आंतरिक, क्रोधी, चिड़चिड़ाहट रहता है उतना ही शांति, संयम रखते हैं। स्थितियां वातावरण अधिकतर आपके सोच-विचार, स्वभाव के विपरीत रहता है। मानसिकता से सोचकर भी परिवर्तन संभव नहीं होता, कामकाज के प्रति सजग, गंभीर होते हैं। कार्यकुशलता बेहतर रखते हैं। स्वाभाविक कारणों से मित्रता विश्वास कम रहता है। छोटी-बड़ी बात का भी प्रभाव अधिक होता है। चंचलतावश वैचारिक दृष्टिकोण बदलते हैं। पश्चाताप, दुःख में रहते हैं।
सहजता से आप राशि वालों को लोग, सहयोगी समझ नहीं पाते जिस कारण व्यर्थ की धारणाओं को मन में बनाते हैं उनको मन विचारों से निकालना मुश्किल होता है। पारिवारिक प्रेम, जवाबदारी रखते हैं। स्पष्टता, सत्यता के कार्यों को महत्व देते हैं। स्वयं का विश्वास बनने तक गंभीरता, हठधर्मिता नहीं बना पाते। योजना, उद्देश्य, लाभ को महत्व देते हैं। अनिश्चितता में संयमित रहना कठिन हो पाता है। योग्यता, अनुभव से अधिकार रखते हैं। कार्यकुशलता, समर्पण की स्थिति में स्वयं का प्रभाव रखते हैं। तथा परिणामों की नहीं सोचते।
आतंकित, भयभीत एकदम से नहीं होते। मन ही मन दूसरों के प्रति लगन, सद्धाव रखते हैं। अपने कर्तव्यों से उसे दर्शाते हैं। विपरीत स्थिति विवाद में भी स्थिति अनुरूप एक- दूसरे को बाँधकर समझदारी दर्शा पाते हैं। एकदम से अथवा जरूरी न हो तो गुप्त कार्य, बात iमन में ही रखते हैं। नजदीकी लोग किन्हीं मामलों में आपसे भय, दूरी रखते हैं। जवाबदारी, सामाजिक, पारिवारिक प्रतिष्ठा के प्रति गंभीर रहते हैं। परंपराओं में विश्वास नहीं रहता। मगर जीवन में चमत्कार, अनहोनी के कारण फिर अति विश्वास, धारणाओं को मानते हैं। स्वयं का भी एक दर्शन उद्देश्य जीवन में रहता है।
ये बहुत वफादार दोस्त हो सकते हैं और उसी समय में, ये बहुत खतरनाक दुश्मन बनने की भी क्षमता रखते हैं। बदला लेने और बदला पाने की इच्छा इनकी रगों में खून बन कर दौड़ता हैं। इनकी विस्मयकारी शक्ति और रहस्यमय नजरें इनके आसपास के लोगो को सम्मोहित कर देती हैं। ये तीव्र, हावी, क्रूर और प्रतिबद्ध होते हैं। और अपने जीवन की लड़ाई अपनी उत्सुक बुद्धि, धैर्य और रचनात्मकता के साथ लड़ने के लिए अभ्यस्त हैं। निश्चित रूप से ये मिलनसार या उदार नहीं होते हैं लेकिन अपने लाभ के लिए जोड़-तोड़ करने वाले या षड्यंत्र करने वाले भी नहीं होते हैं।
वर्षारम्भ ता. 17 जनवरी से वर्षान्त तक इस राशि पर शनि की ढैय्या का प्रभाव रहने से संघर्षमयी परिस्थितियां रहेंगी। परन्तु वर्षारम्भ से 21 अप्रैल तक गुरु की शुभ दृष्टि तथा वर्षारम्भ से 12 मार्च तक मंगल की स्वगृही दृष्टि रहने से नए उच्चाधिकारियों के साथ सम्बन्ध बनेंगे। ता. 12 मार्च से 9 मई तक मंगल, अष्टमस्थ, तदुपरान्त 30 जून तक नीचस्थ (कर्क राशिगत) संचार करने से स्वास्थ्य सम्बन्धी विशेष सावधानी बरतें। ता. 30 जून से 17 अगस्त तक इस राशि पर मंगल की स्वगृही चतुर्थ दृष्टि रहने से संघर्ष के बावजूद निर्वाह योग्य आय के साधन बनते रहेंगे।
इस वर्ष स्थायित्व को देखना होगा। बाद में पश्चाताप होगा। हो सकता है कोई अवसर कार्य ही नहीं मिले, इसलिए सचेत रहें। किसी भी स्थिति को सहनशीलता, शांति से देखें, चैलेंज नहीं करें। व्यावसायिक स्थितियां अच्छी रहेंगी। कामकाज काफी बढ़ेगा। अवसर भी मिलेंगे। सहयोग, मार्गदर्शन, योग्यता, अनुभव, प्रतिष्ठा का लाभ मिलेगा। स्वभाव की शालीनता, गुणात्मक व्यवहार प्रगति के लिए सहायक रहेंगे। सरकारी मामले फिर भी उलझनें बढ़ाएंगे। कोर्ट-कचहरी, आर्थिक अनियमितता का मामला संभव है। विश्वास, भरोसा, आलस्यता, लापरवाही नहीं रखें। व्यावसायिक गुप्तता रखना होगी।
आर्थिक योग वर्ष में अनुकूल रहेंगे। स्थाई आर्थिक कार्य होंगे। प्रॉपर्टी मकान, दुकान में निवेश होगा। किसी कार्य स्थान का विस्तार कर पाएंगे। प्रतिस्पर्धा से लाभ होगा। बचत से भी निवेश व आमदनी बढ़ेगी। रुका पैसा, कानूनी विवादों से अटका धन मिलेगा। भागीदारी में उलझी प्रक्रियाओं से राहत, आमदनी बढ़ेगी। सौदे करार पक्षधर होंगे। विषयों में एकाग्रता, सही निर्णय, मार्गदर्शन से मानसिक उत्साह रहेगा। संभावनाओं, नया ज्ञान, विज्ञान रूपी को महत्व दें। श्री देवीजी की आराधना करें। इष्ट-कुल देवता का जाप पूजन उत्तम रहेगा। जलचर प्राणी, जीवों को संतुष्ट रखें। तीर्थ, नदी प्रवाह स्थान पर पुण्य कायकरें।
उपाय : 1. वर्षभर प्रत्येक शनिवार काँसे की कटोरी में तेल का छायापात्र करना, शनि-मन्दिर में काले तिल, तेल शनि का बीज मन्त्र पढ़ते हुए चढ़ाना शुभ रहेगा।
2. लगातार 7 मंगल या शनिवार अन्धविद्यालय या कुष्ठ आश्रम में सूखा अनाज या पकाया हुआ भोजन दान करें।
मासिक राशिफल 2023
जनवरी : मासारम्भ से मंगल-गुरु की शुभ दृष्टि रहने से परिश्रम एवं उत्साह में वृद्धि के कारण कार्य-व्यवसाय में लाभ प्राप्ति होती रहेगी। परन्तु ता. 17 से शनि की ढैय्या रहने से मन परेशान रहेगा। व्यवसाय/नौकरी में परिवर्तन का विचार बने।
फरवरी : शनि की दृष्टि रहने से यद्यपि खर्च एवं क्रोध अधिक रहेगा। किन्तु मंगल-गुरु की दृष्टि होने से निर्वाह योग्य आय के साधन बनते रहेंगे। धार्मिक कार्यों में रुचि बढ़ेगी। अचानक अप्रत्याशित लाभ और शुभ समाचारों का आदान-प्रदान होंगी
मार्च : किसी नए कार्य की योजना बनेगी। परन्तु ता. 12 से मंगल अष्टमस्थ होने से सफलता तथा बनते कार्यों में अड़चनें रहेंगी। व्यर्थ की भागदौड़ और फिजूलखर्ची बढ़ेगी। धन-हानि तथा स्वास्थ्य नर्म रहेगा।
अप्रैल : आय कम और खर्च अधिक रहेगा। किसी निकटस्थ मित्र से मतभेद उत्पन्न होंगे। पुरुषार्थ और परिश्रम करने पर गुज़ारेलायक धन की प्राप्ति होगी। अकस्मात् विशिष्टजनों से सम्पर्क बढ़ेगा। वाहनादि पर खर्च होगा।
मई : व्यर्थ की चिन्ताओं से मानसिक तनाव रहेगा। सांझेदारी के कार्यों में हानि होगी। ता. 10 से मंगल नीच राशिस्थ रहने से गुप्त शत्रुओं से भी सावधान रहे। यात्रादि का प्रोग्राम टाल दें, अन्यथा परेशानी एवं व्यर्थ के व्यय अधिक होंगे।
जून : मानसिक तनाव एवं घरेलु उलझनें बढ़ेंगी। अत्यधिक संघर्ष के बाद धन लाभ अल्प रहेगा। खर्चों की अधिकता होगी। उच्च-वर्ग से सम्पर्क होगा, परन्तु लेन-देन में धोखा मिलने के योग हैं। स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानी और सन्तान चिन्ता रहेगी।
जुलाई : मासारम्भ से ही मंगल की दृष्टि रहने से सोचे हुए कार्यों में कुछ सफलता तथा विघ्न-बाधाओं के बावजूद धन प्राप्ति के अवसर प्राप्त होंगे। व्यवसायिक क्षेत्र में कार्य- प्रणाली में कुछ परिवर्तनों का विचार बने।
अगस्त : आय में वृद्धि के साथ-साथ खर्च अधिक होगा। परिश्रम और उत्साह से कार्य करने पर सफलता मिलेगी। मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी, परन्तु पारिवारिक परेशानी होगी। नेत्र कष्ट, धन हानि, रोग-भय आदि परेशानियां होंगी।
सितम्बर : कार्यक्षेत्र में व्यस्तताएं बनी रहेंगी। कोई रुका हुआ कार्य बनने के योग हैं। परिवार में खुशी के अवसर भी प्राप्त होंगे। विलासादि कार्यों पर खर्च अधिक होंगे। अधिक व्यस्तता होने से परेशानी होगी।
अक्तूबर : मंगल-केतु योग होने से अधिकांश समय व्यर्थ के कामों में व्यतीत होगा। उदर में विकार एवं आँखों में कष्ट का भय है ता. 17 से 12वें सूर्य होने से परिवार में आवश्यक खर्चों में वृद्धि होगी। क्रोध व उत्तेजना रहेगी।
नवम्बर : पूर्वार्द्ध में स्वास्थ्य विकार, दुर्घटना से चोटादि लगने का भय है, सावधानी बरतें, आकस्मिक खर्चों में भी वृद्धि होगी। उत्तरार्द्ध में ता. 16 से मंगल इसी राशि पर होने से यद्यपि परिश्रम और पुरुषार्थ बढ़ेगा। परन्तु शनि की दृष्टि रहने से पारिवारिक व व्यवसायिक उलझनें भी होंगी।
दिसम्बर : अत्यन्त कठिन परिस्थितियों में धन लाभ मध्यम होगा। मन उचाट रहेगा। आराम कम और दौड़-धूप अधिक रहेगी। वाद-विवाद से बचें। सोची हुई योजनाओं में आंशिक सफलता मिलेगी।
ज्योतिर्विद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848