World IVF Day : क्या है आईवीएफ, जानिए विश्व आईवीएफ दिवस का महत्व और उद्देश्य

World IVF Day : वैश्विक स्तर पर आईवीएफ के बारें में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से हर साल 25 जुलाई को विश्व आईवीएफ दिवस मनाया जाता है। आईवीएफ, दुनिया भर में उन लाखों- हजारों लोगों के लिए अपनी संतान पाने की इच्छा को पूरा करता है, जो किन्हीं कारणों से प्राकृतिक रूप से संतान उत्पत्ति में असमर्थ होते हैं। आईवीएफ को प्रजनन चिकित्सा जगत की एक क्रांति माना जाता है, लेकिन इसे लेकर लोगों के मन में कई सवाल तथा भ्रांतियां भी हैं।

बांझपन तथा In Vitro Fertilization या IVF के बारे में आमजन में जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ इससे बारें में व्याप्त भ्रमों से जुड़े सही तथ्यों के बारें में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 25 जुलाई को विश्व आईवीएफ दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को विश्व भ्रूणविज्ञानी दिवस या World Embryologist Day के रूप में भी मनाया जाता है।

आईवीएफ को प्रजनन चिकित्सा में ऐसी आश्चर्यजनक प्रगति के रूप में जाना तथा माना जाता है, जिसने वैश्विक स्तर पर बहुत बड़ी संख्या में दंपतियों के बच्चा पैदा करने के सपने को साकार करने में मदद की है। विभिन्न माध्यमों पर उपलब्ध रिपोर्ट की माने तो वर्तमान में IVF से पांच मिलियन से ज्यादा बच्चों को जन्म हो चुका है।

दरअसल 10 नवंबर, 1977 को इंग्लैंड में लेस्ली ब्राउन नामक महिला ने डॉक्टर पैट्रिक स्टेप्टो और रॉबर्ट एडवर्ड्स की मदद से विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ ) प्रक्रिया शुरू की थी, जिसके बाद 25 जुलाई 1978 में पहली टेस्ट-ट्यूब बेबी लुईस ब्राउन का जन्म हुआ था। इसी के चलते हर साल 25 जुलाई को विश्व आईवीएफ दिवस या वर्ल्ड एम्ब्रयोलॉजिस्ट डे मनाया जाता है।

आईवीएफ
IVF में ऐसी महिलाएं जो अपने प्रजनन के वर्षों को पार कर चुकी हैं, जिनके पुरुष साथी प्रजनन में अक्षम हैं या जो अन्य ऐसी समस्याओं से पीड़ित है, जो प्रजनन में बाधा उत्पन्न कर रही हैं, गर्भवती हो सकती हैं। सिर्फ भारत की ही बार करे तो हमारे देश में लगभग सभी शहरों में IVF सेंटर मौजूद हैं,लेकिन आमतौर पर भ्रम, समाज क्या कहेगा तथा अन्य कई सामाजिक कारणों से भी लोग जल्दी इस दिशा में कन्सलटेशन नहीं लेते हैं।

बांझपन या निसंतानता का एक तिहाई कारण पुरुष हैं, एक तिहाई कारण महिलाएं हैं और एक तिहाई कारण अभी भी स्पष्ट नहीं है। ऐसे में World IVF Day ना सिर्फ लोगों में इस पद्धति से जुड़े भ्रमों को दूर करने का, इस बारें में उन्हे ज्यादा जागरूक करने का तथा इस इलाज से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए एक मंच देने का एक मौका देता है।

इसके अलावा विश्व आईवीएफ दिवस उन सभी बच्चों के जन्म का उत्सव मनाने का मौका भी देता है, जिनका जन्म इस तकनीक से हुआ है। हम कह सकते हैं कि लुईस ब्राउन का जन्म मानव इतिहास में महानतम उपलब्धियों में से एक है।

महत्व तथा उद्देश्य
विश्व स्वास्थ्य संगठन – WHO की हालिया रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में हर 6 में से 1 व्यक्ति बांझपन की समस्या का सामना कर रहा है। एक अनुमान के मुताबिक कुल वयस्क आबादी के लगभग 17.5% लोग वर्तमान में प्रजनन में असमर्थता या समस्या से प्रभावित है, जो चिंता का विषय है। ऐसे में IVF या इन विट्रो फर्टिलाइजेशन उन लोगों के लिए एक राह खोलती है, जो प्राकृतिक तरीके से ही नही बल्कि कई अन्य प्रजनन से जुड़ी चिकित्सा विधाओं को अपनाने के बाद भी गर्भधारण नहीं कर पाते हैं।

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