डीपी सिंह की रचनाएं

सर छुपाने को भी जर-जमीं चाहिये
भाव हों अंकुरित, तर-जमीं चाहिये
चाह है तुझ पॅ कुछ गीत-गजलें कहूँ
शब्द तो मिल गये, पर, जमीं चाहिए

डीपी सिंह

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