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राम आएँगे, शबरी को विश्वास था
राममय उसका हर श्वास-उच्छवास था
आ गये, क्यों कि आते न भगवान तो
भक्त का यह नहीं, उनका उपहास था
जिसकी इच्छा से ही सुब्ह और शाम हो
इक पता जानने में वो नाकाम हो
शबरी से पूछना मार्ग, लीला है बस
ताकि प्रभु.- कार्य में भक्त का नाम हो
शबरी ने जब पुकारा तो आना ही था
राम को बेर भी उसका खाना ही था
जो द्रवित हो के जीवों पॅ, सुख त्याग दे
उसके वात्सल्य का ऋण चुकाना ही था
जय श्री राम
—डीपी सिंह
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