किन बातों को अपनाना या छोड़ना (विरासत)

डॉ. लोक सेतिया, विचारक

लगता है जैसे तमाम लोग मानते हैं कि हमारी सभी पुरानी ऐतहासिक धार्मिक किताबों की कहानियां और पुरातन धारणाएं महान हैं और उनको फिर से अपनाया जाना चाहिए। सोशल मीडिया पर बाढ़ आई हुई है सच्ची झूठी मनघडंत बातों की और उपदेश देते हैं हमको वापस उस ज़माने को लाना है। अगर हम ध्यानपूर्वक सोचें तो उन्हीं कथाओं कहानियों में बेहद अनुचित अतार्किक और देश समाज की भलाई के खिलाफ आचरण किया जाता रहा है।

वास्तविकता सभी जानते हैं बीता ज़माना पुरानी बातें तौर तरीके लौटते नहीं कभी। यकीनन हम बीते हुए कल की तारीख को वापस नहीं ला सकते तो हज़ारों वर्ष सदियों पुरानी चीज़ों को फिर दोहराना संभव नहीं है। जीवन में भी अतीत को दोहराया नहीं जा सकता है, हां वर्तमान को बेहतर बनाने को अतीत और पुराने ज़माने से सीख लेकर नया किया जा सकता है।

शायद कोई ऐसे युग में जीना नहीं चाहेगा जिस में आधुनिक समय में उपलब्ध साधन सुविधा नहीं हो पाषाण युग मानवता और सामाजिक संरचना का कोई निशान नहीं था जब। क्या हम अपने घर में परिवार में बाप दादा की सभी पुरानी चीज़ों को हमेशा को संभाल रख सकते हैं शायद अधिकांश चीज़ों का कोई महत्व नहीं रहता है उनको रखना घर को कचरे का ढेर बनाना हो सकता है। हम हर वर्ष घर की सफाई करते हैं और अनुपयोगी वस्तुओं को निकाल देते है नया लाकर घर को सजाते हैं।

माता पिता की याद उनकी दी गई शिक्षा को मन में रखना अच्छा है मगर क्या हम अपनी आने वाली संतान को उसी तरह से पालन पोषण करना उचित समझते हैं जैसा उस समय किया जाता रहा था। कहावत है ठहरा पानी खराब हो जाता है बहता पानी होना अच्छा है समय के साथ नदी में पानी बहता रहता है तालाब का पानी भी बदलना होता है। बदलना कुदरत का नियम है सभ्यता भी बदलते समय के साथ परिवर्तित होती रहती है पुरानी सभ्यता के अवशेष तलाशना माना आदमी की आदत होती है लेकिन उसको फिर से स्थापित किया नहीं जाता है।

कभी ध्यान से समझना, क्या जो सब पुरानी कथाओं कहानियों में पढ़ते सुनते रहे हैं सब लाजवाब था, नहीं उस में भी अन्याय अत्याचार भेदभाव और बिना तर्क बड़े ताकतवर लोग अपनी मर्ज़ी से नियम बनाते लादते थे। महिलाओं, गरीबों अपने अधीन व्यक्ति से बेहद अनुचित अमानवीय आचरण किया जाता था। राम, रावण से कौरव, पांडव युद्ध तक कितनी आपत्तिजनक बातें हुई जिनको वापस लाना ठीक नहीं होगा।

वास्तव में इतिहास और धर्म की कथा कहानियां लिखने वालों ने अपनी खुद की आस्था और विश्वास को स्थापित करने सही और गलत को दरकिनार करते हुए किसी को नायक किसी को ख़लनायक साबित करने के लिए मनमर्ज़ी से मापदंड बनाकर अपना मकसद हासिल किया है। वास्तविक ज्ञान आपको अपने विवेक से काम लेकर मिलता है और जब कोई खुद को उस समय में रखकर विचार करेगा तब समझ आएगा जो उस युग में कोई किसी से करता रहा हमारे साथ होता तो क्या होता।

सिर्फ इसलिए कि किसी किताब में लिख दिया गया है इस पर शंका नहीं कर सकते उचित नहीं लगता बल्कि ऐसा लिखने वाला खुद को बचाने की कोशिश करने को हमको अंधविश्वास और अज्ञानता में डालना चाहता है। अन्यथा सांच को आंच नहीं और सत्य को कसौटी पर खरा साबित होना ही चाहिए। हर चमकने वाली चीज़ सोना नहीं होती और अनमोल हीरे जवाहरात की पहचान उनकी खरेपन की जांच से की जाती है। विवेकशीलता का अर्थ है हमको किसी बात को पढ़कर सुनकर विचार कर समझना चाहिए उसकी वास्तविकता और उपयोगी होने को लेकर अन्यथा हम शिक्षित हो सकते हैं जानकार नहीं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

3 × five =